India Census 2025 Schedule, India Ki Janganana Kab Hogi: देश में अगले साल से जनगणना की शुरुआत होने वाली है। इसके आंकड़े साल 2026 में जारी किए जा सकते हैं। इस बार की जनगणना काफी मायनों में अलग होने वाली है। इसकी एक खास वजह यह है कि यह ऐसे टाइम में हो रही है जब भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। भारत ने चीन को आबादी के मामले में पीछे छोड़ दिया है। साथ ही, इस बार की जनगणना में संप्रदाय को लेकर भी सवाल किए जाने के आसार हैं। लोगों से उनके संप्रदाय से जुड़ी जानकारी भी जुटाई जा सकती है।
अब तक की जनगणना का जो पैटर्न था उसके केवल धर्म और वर्ग ही पूछा जाता रहा है। साथ ही एससी, एसटी और जनरल कैटेगरी की गणना होती है। हालांकि, इस बार यह भी सवाल किया जा सकता है कि वह किस संप्रदाय के अनुयायी हैं। अब इसको एक उदाहरण के जरिये समझने की कोशिश करते हैं। जैसे इस्लाम में शिया और सुन्नी शामिल हैं, जबकि जातियों में ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य जैसे समूह शामिल हैं। धर्म और वर्ग के साथ-साथ संप्रदाय के आधार पर भी जनगणना की मांग पर केंद्र सरकार विचाचर कर रही है।
डिजिटल तरीके से जुटाए जाएंगे आंकड़े
देश में ऐसे पहली बार होने जा रहा है जब जनगणना के आंकड़े डिजिटली तरीके से जुटाए जाएंगे। इसके लिए एक खास तरीके का पोर्टल बनाया गया है। बता दें कि कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने संप्रदाय के आधार पर जनगणना कराए जाने की मांग की थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, संप्रदाय के आंकड़े ज्यादा सही पॉलिसी बनाने में काफी सहायक साबित हो सकते हैं।
जनगणना में देरी से कितना नुकसान
जनगणना के कॉलम पर जोर
जनगणना के आंकड़ों से देश की धार्मिक जनसंख्या के बारे में भी डेटा इकट्ठा किया जा सकेगा। 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर गौर करें तो देश में सबसे ज्यादा आबादी हिंदुओं की है। यह करीब 79.8 फीसदी है। मुस्लिमों की आबादी 14.2 फीसदी है, 2.3 फीसदी ईसाई और 1.7 फीसदी सिख हैं। जनगणना में संप्रदाय का मतलब है कि वह शख्स किस धार्मिक और सांस्कृतिक समूह से संबंध रखता है।
जनगणना के चक्र में होगा बदलाव
इससे पहले जितनी भी जनगणना होती थी वह दशक की शुरुआत में ही होती हुई आ रही थी। जैसे कि साल 1991, 2001, 2011। इस बार की जनगणना साल 2021 में होने वाली थी। हालांकि, कोरोना महामारी आ गई थी तो इसको टालना पड़ गया था। इसके बाद अब जनगणना के चक्र में भी बदलाव होने वाला है। अब जो नया चक्र शुरू होगा वह 2025 के बाद 2035 और फिर 2045, 2055 होगा। हालांकि, अभी तक इस बार पर किसी भी तरह का कोई फैसला नहीं किया गया है कि जातिगत जनगणना की जाएगी या नहीं। विपक्षी दलों की तरफ से लगातार जातीय जनगणना की मांग की जा रही है।
एनडीए की सहयोगी जेडीयू भी जाति जनगणना के पक्ष में रही है। जेडीयू नेता राजीव रंजन ने कहा कि हम देशव्यापी जाति जनगणना के पक्ष में है। हमें इस बात से बहुत ही खुशी होगी अगर सरकार जाति जनगणना को भी इसमें शामिल करे। हम एनडीए अलायंस का हिस्सा है और हमने इस मुद्दे को उठाया भी है। जेडीयू का मानना है कि जाति जनगणना से वंचित वर्गों को सशक्त बनाया जा सकता है।
जनगणना में कितने सवाल किए जाएंगे?
कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि जनगणना में 31 सवाल किए जाएंगे। इसमें परिवार के लोगों की कुल संख्या, परिवार की मुखिया महिला है या नहीं, परिवार के पास कितने कमरे हैं और परिवार के पास टेलीफोन, स्कूटर-बाइक है या नहीं। इसी तरह के दैनिक जीवन से जुड़े और भी कई सवाल किए जाएंगे।