खालिस्तान आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़े मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का नाम लेकर कनाडा ने अपना कूटनीतिक हमला काफी तेज कर दिया है। सूत्रों ने कहा कि भारत में यह भावना है कि इस मामले में अमित शाह का नाम लेना, कनाडा के लिए पीछे हटना कठिन होगा और द्विपक्षीय संबंधों पर बुरा असर होगा। कनाडा में अगले साल चुनाव होने हैं और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अपनी पार्टी के भीतर भारी विरोध का सामना कर रहे हैं और सर्वे में पीछे चल रहे हैं।
हालांकि भले ही नेतृत्व में बदलाव हो लेकिन सर्वेक्षणों के अनुसार कंजर्वेटिव नेता पियरे पोलिएवर आगे हैं। एक अधिकारी ने कहा, “ट्रूडो की योजना एक झुलसी हुई धरती की नीति की तरह दिखती है।इस मुद्दे पर उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भारत के साथ संबंधों को ठीक से न संभाल पाने के अलावा उन पर बहुत हमलावर नहीं रहे हैं, लेकिन वे अगली सरकार के लिए बहुत कठिन बना रहे हैं।”
इमरान खान के बयानों से तुलना
वहीं भारत में कुछ लोग इसकी तुलना सितंबर 2018 में ‘इमरान खान के बयानों’ से करते हैं। तब तत्कालीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था, “शांति वार्ता को फिर से शुरू करने के मेरे आह्वान पर भारत द्वारा अहंकारी और नकारात्मक प्रतिक्रिया से निराश हूं। हालांकि मैंने अपने पूरे जीवन में बड़े पदों पर बैठे छोटे लोगों को देखा है, जिनके पास बड़ी तस्वीर देखने की दूरदर्शिता नहीं है।” इमरान खान ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के मौके पर भारत द्वारा पाकिस्तान के साथ विदेश मंत्री स्तर की वार्ता को रद्द करने पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही थी।
अब कदम पीछे खींचना मुश्किल
इसी बयान ने दोनों नेताओं के बीच संबंधों को हमेशा के लिए खराब कर दिया। भारत ट्रूडो सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के नए बयानों को संबंधों को नुकसान पहुंचाने के बराबर मानता है, जिसे सुधारा नहीं जा सकता। अधिकारियों का कहना है कि संसद में बयान देने से भविष्य की सरकारों के लिए पीछे हटना मुश्किल हो जाता है। जब नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने सीमा विवाद के मुद्दे को अपने देश की संसद में उठाया और एक नया आधिकारिक नक्शा जारी किया, (जिसे संसद की मंजूरी मिली थी) जिसमें उत्तराखंड के कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को अपने क्षेत्र का हिस्सा बताया गया था, तो इसने नेपाल में किसी भी सरकार के लिए अपने कदम पीछे खींचने की गुंजाइश कम कर दी।
भारत ने कहा था कि नेपाल का नया आधिकारिक नक्शा अस्वीकार्य है। कनाडा के मामले में भी यह आरोप अब तक के किसी भी आरोप से ज़्यादा संबंधों को नुकसान पहुंचाता है। हालांकि कनाडा में न्यायिक प्रक्रिया जारी रहेगी और अगले कुछ महीनों में इस तरह के और भी दावे और आरोप सार्वजनिक डोमेन में आयेंगे। इस संदर्भ में भारत के अधिकारी जानते हैं कि उन्हें इस तरह के और भी आरोपों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।