योशिता सिंह
संयुक्त राष्ट्र संघ बुधवार को अंतरराष्ट्रीय नरसंहार पीड़ित दिवस मना रहा है। भारत ने इस अवसर पर दुनिया से उन लोगों को श्रद्धांजलि देने की अपील की है जिन्हें 1971 के मुक्ति युद्ध में मार डाला गया था। भारत ने कहा कि इस दौरान 3 मिलियन लोगों की हत्या कर दी गई थी और दो लाख महिलाओं का पाकिस्तानी सेना और मजहबी आतंकियों ने रेप किया था। सरकार ने इसे “मानव इतिहास में सबसे भयानक प्रकरण” बताते हुए कहा कि यह अक्षम्य अपराध है।
युद्ध की शुरुआत पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश (जिसे पहले पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था) में 25 मार्च 1971 को आधी रात को अचानक की थी। नौ महीने बाद 16 दिसंबर को ढाका में बंगाली स्वतंत्रता सेनानियों और भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना के अपनी हार स्वीकार करते हुए बिना शर्त आत्मसमर्पण करने के साथ समाप्त हुई थी।
नौ महीने लंबे चले युद्ध में अधिकृत रूप से 30 लाख लोगों के मारे जाने की बात बताई गई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थायी राजदूत टीएस तिरुमुर्ति ने ट्वीट करके नरसंहार रोकिए के हैशटैग के साथ कहा कि “संयुक्त राष्ट्र संघ के 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय नरसंहार दिवस पर हमें 1971 के युद्ध के 30 लाख मृतकों तथा पाकिस्तानी सेना और मजहबी आतंकियों द्वारा पहले के पूर्वी पाकिस्तान में यौन शोषित की गईं दो लाख महिलाओं को श्रद्धांजलि देनी चाहिए। यह मानव इतिहास का सबसे भयावह प्रकरण था।”
UN International Day of Victims of Genocide on 9 Dec
Let’s pay homage to 3 million killed & 200,000 or more women raped in erstwhile East Pakistan by Pakistan army & religious militias in 1971 in most horrific episode in human history.
Never again @UN_GP_RtoP #PreventGenocide
— Amb T S Tirumurti (@ambtstirumurti) December 8, 2020
अपने संदेश में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियों गुटारेस ने कहा कि “नरसंहार सबसे ज्यादा नृशंस अपराध है तथा नफरत और विनाश से भरा है। यह हमारे सबसे अधिक बुनियादी मूल्यों पर हमला है।”