India Budget 2025: बजट में मिडिल क्लास के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सबसे बड़ा ऐलान कर दिया है। न्यू टैक्स रिजीम के तहत 12 लाख तक की इनकम पर अब कोई भी टैक्स नहीं लगने वाला है। अब इस ऐलान का फायदा वैसे तो पूरे देश के मिडिल क्लास को होने वाला है, लेकिन चुनावी राज्य दिल्ली पर भी इसका सीधा असर पड़ने वाला है। समझने वाली बात यह है कि दिल्ली एक ऐसा केंद्र शासित प्रदेश है जहां पर कैपिटा इनकम बेहतर मानी जाती है।
दिल्ली में कितना बड़ा है मिडिल क्लास वोटर?
अगर बात पूरे देश की हो तो दिल्ली सबसे ज्यादा पर कैपिटा इनकम के मामले में तीसरे नंबर पर आता है। उससे आगे सिर्फ तेलंगाना और हरियाणा है। दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय 167.5% चल रही है। दिल्ली का जो इकोनॉमिक सर्वे भी पेश किया गया था, उसमें बताया गया था कि राजधानी में वर्तमान में प्रति व्यक्ति आय 4.61 लाख चल रही है। एक आंकड़ा यह भी बताता है कि दिल्ली में मिडिल क्लास की आबादी 45 फीसदी के करीब बैठती है, यह भी नेशनल एवरेज से ज्यादा है जो वर्तमान में 31% आंकी गई है।
बजट का दिल्ली चुनाव पर क्या असर?
दिल्ली के मिडिल क्लास को लेकर कहा जाता है कि उनका गरीबी रेखा में जाना मुश्किल है, आर्थिक रूप से वे ज्यादा सशक्त माने जाते हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि उनकी इनकम ज्यादा है। नई टैक्स रिजीम में अब क्योंकि 12 लाख तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, इसका सीध फायदा दिल्ली की 45 फीसदी आबादी को मिलने वाला है। दिल्ली का जो भी मिडिल क्लास है उसकी इनकम 12 लाख से कम ही मानी जा रही है। वो जिस ब्रैकिट में आता है, उसको ही इस बजट में सबसे बड़ी राहत दी गई है।
PEOPLE RESEARCH ON INDIAS CONSUMER ECONOMY की रिपोर्ट कहती है, दिल्ली का मिडिल क्लास 5 लाख से 30 लाख के बीच में कमा रहा है। CSDS लोकनीति की रिसर्च बताती है कि दिल्ली के 71 प्रतिशत लोगों ने खुद को मिडिल क्लास बताया था। यहां भी 28 फीसदी करीब तो वो लोग रहे जो HIGH MIDDLE CLASS वाले हैं और 44 फीसदी के करीब वो जो खुद को LOW MIDDLE CLASS बताते हैं। यहां भी 73% लोग दिल्ली में प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं। ये सारे आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली का जो मिडिल क्लास वोटर है, वो 12 लाख वाले इनकम ब्रैकिट में आता है।
केजरीवाल ज्यादा परेशान क्यों होंगे?
चुनाव के लिहाज से अगर देखा जाए तो इनकम टैक्स को लेकर किया गया यह ऐलान पूरा गेम पलट सकता है। असल में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने खुद इस चुनाव में मिडिल क्लास पर खास ध्यान दिया है। उनकी तरफ से मिडिल क्लास मेनिफेस्टो तक जारी किया गया है। वे भी इस बात को जानते हैं कि उनकी जो वेलफेयर वाली योजनाएं हैं, उनका सीधा फायदा कम इनकम वाले परिवारों को मिल रहा है, उसका फायदा ज्यादा गरीब तबके को जा रहा है। जो मिडिल क्लास है, उसे क्योंकि इन योजनाओं को ज्यादा फायदा नहीं मिलता, इसी वजह से उसे इतना फर्क भी नहीं पड़ता कि सत्ता में कौन है।
क्या बीजेपी को वोट देगा मिडिल क्लास?
लेकिन इस बार आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मांग की कि बजट में मोदी सरकार इनकम टैक्स छूट को 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख कर दिया जाए। अब मोदी सरकार ने जो बजट पेश किया है, उसमें तो छूट को 12 लाख तक बढ़ा दिया गया है, जिस ऐलान की उम्मीद कोई नहीं कर रह था, चुनावी मौसम में वैसा ही किया गया है। अब अरविंद केजरीवाल के लिए इस दांव से लड़ना खासा मुश्किल हो सकता है। मिडिल क्लास वोटर अभी तक आम आदमी पार्टी के साथ खड़ा था, लेकिन इसलिए नहीं कि उसे आप की योजनाओं का फायदा मिल रहा था, इसलिए क्योंकि बीजेपी बेहतर विकल्प नहीं बन पा रही थी।
दिल्ली का स्विंग वोटर अब बीजेपी के साथ?
लेकिन अब जब बजट में 12 लाख तक की इनकम में जीरो टैक्स की बात कर दी गई है, माना जा रहा है कि दिल्ली का मिडिल क्लास भी इससे प्रभावित हो सकता है, उसका वोटिंग पैटर्न भी बदल सकता है। अगर ऐसा होता है तो चुनावी नतीजे भी अलग दिख सकते हैं। यहां पर एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि दिल्ली का जो स्विंग वोटर है, वो कई मौकों पर नतीजों को प्रभावित करता है। आसान शब्दों में स्विंग वोटर अगर लोकसभा में बीजेपी को वोट दे रहा है, विधानसभा में AAP के साथ जा रहा है। लेकिन अब जो आम आदमी पार्टी का स्विंग वोटर है, उसमें भी मिडिल क्लास आदमी बीजेपी की तरफ शिफ्ट कर सकता है। उस स्थिति में बाजी पलट सकती है।
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