पाकिस्तान की जेलों में सजा पूरी कर चुके भारतीयों को जल्द रिहा करने के लिए भारत सरकार ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया है। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को लिखित प्रतिवेदन (नोट वर्बल) जारी किया है, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि कैदियों तक राजनयिक पहुंच के 95 प्रस्ताव पाकिस्तान ने ठुकराए हैं। भारत सरकार ने मुंबई के रहने वाले हामिद निहाल अंसारी का उदाहरण देते हुए कहा कि 2015 में सजा पूरी किए जाने के बावजूद उसे नहीं छोड़ा गया है। जबकि, उसे रिहा करने को लेकर पेशावर के उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान सरकार को निर्देश दे रखा है। पाकिस्तान की जेलों में कुल 48 ऐसे कैदी हैं, जिनकी सजा की मियाद पूरी हो चुकी है। इनमें कई ऐसे हैं, जिनपर कोई संज्ञेय आरोप नहीं लगा है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, ऐसे लोगों की सूची पाकिस्तान सरकार ने ही मुहैया कराई है। लेकिन तकनीकी अड़चन बताकर उन लोगों को छोड़े जाने के मामले लटकाए जा रहे हैं।

हामिद निहाल अंसारी का मामला ऐसा ही है। एक पाकिस्तानी लड़की से आॅनलाइन हुई दोस्ती के बाद अवैध तरीके से मिलने पहुंचे इस भारतीय की सजा पूरी हो चुकी है। पाकिस्तान की अदालत ने सजा की अवधि पूरी होने के बाद भी उन्हें कैद रखे जाने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। वहां की अदालत ने भारतीय कैदी हामिद निहाल अंसारी को वापस भेजने की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए एक महीने का समय दिया है।

मुंबई के रहने वाले हामिद निहाल अंसारी (33) पेशावर सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन्हें सैन्य अदालत ने फर्जी पाकिस्तानी पहचान पत्र रखने के आरोप में 15 दिसंबर 2015 को तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। अफगानिस्तान से होकर पाकिस्तान में अवैध रूप से घुसने पर 2012 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। वे कथित रूप से एक लड़की से मिलने के लिए पाकिस्तान गए थे, जिससे उसकी आॅनलाइन दोस्ती हुई थी। पेशावर हाईकोर्ट के दो जजों – जस्टिस रूहुल अमीन और जस्टिस कलंदर अली खान के पीठ ने गुरुवार को अंसारी की अपील पर फैसला दिया।

याचिका में कहा गया था कि संघीय सरकार ने अंसारी की रिहाई को लेकर अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। अंसारी के वकील काजी मोहम्मद अनवर ने कहा कि उनके क्लाइंट की सजा 15 दिसंबर को पूरी हो जाएगी और ऐसे में उन्हें 16 दिसंबर को सुबह रिहा कर दिया जाना चाहिए। अदालत ने इस बारे में सरकार की चुप्पी पर हैरानी जताई। वहां के गृह मंत्रालय ने अदालत को भरोसा दिया है कि दस्तावेज तैयार कर कैदी को वाघा बॉर्डर होते हुए भारतीय अधिकारियों से सुपुर्द कर दिया जाएगा।