दिल्ली में ‘भारतीय महिलाओं की ताकत’ विषय पर चल रहे आर्ट फेयर में रविवार को अचानक पुलिस पहुंच गई और पेंटिंग्स की जांच-पड़ताल शुरू कर दी। पुलिस को सूचना मिली थी कि वहां पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पेंटिंग बनाकर दिखाई जा रही है। हालांकि पुलिस को ऐसा कुछ मिला नहीं। घटना को कलाकारों ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “पुलिस कंट्रोल रूम में किसी ने शिकायत की कि आर्ट फेयर में सीएए पर आधारित पेंटिंग दिखाई जा रही है। इस पर वहां पुलिस की एक टीम भेजी गई, लेकिन वहां ऐसी कोई पेंटिंग नहीं मिली।”

पीटीआई से बात करते हुए एक प्रतिभागी कलाकार गार्गी चंदोला ने बताया कि कलाकार मायना मुखर्जी द्वारा क्यूरेट की गई पेंटिंग इतालवी दूतावास सांस्कृतिक केंद्र बूथ पर लगाई गई है। इसमें पेंटिंग के साथ-साथ फैज अहमद फैज के ‘हम देखेंगे’ गाने और देश भर में महिलाओं की प्रेम, सुंदरता, कोमलता और शक्ति के बारे में कला को दिखाया गया है। उन्होंने कहा, “कलाकृति किसी एक विशेष विरोध या मुद्दे के बारे में नहीं थी। यह भारत की महिलाओं के बारे में है। हमने महिलाओं को सम्मानित करने के लिए एक जगह तय की थी। यह विशुद्ध रूप से भारत की महिलाओं की एकजुटता और ताकत के अहसास का उत्सव था। यह किसी भी तरह से राजनीतिक नहीं था।”

एक अन्य प्रतिभागी कलाकार इंद्रनील रॉय ने कहा कि यह घटना “बहुत दुर्भाग्यपूर्ण” है, और आरोप लगाया कि मेले के आयोजकों ने “अव्यवसायिक” व्यवहार किया। “भारत कला मेला प्रबंधन ने बहुत ही अव्यवसायिक व्यवहार किया और मामले को बेवजह तूल दिया। पुलिस ने गलतफहमी के लिए माफी मांगी लेकिन प्रबंधन ने कलाकारों के काम या क्यूरेटर पर भरोसा किए बिना हम पर आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है “बिना कुछ जाने या उर्दू भाषा जिसे कोई भी नहीं पढ़ सकता था, सब कुछ रोक दिया गया था।”

आर्ट फेयर के आयोजकों ने कहा, “हमें घटना के बारे में बताया गया। इतालवी दूतावास सांस्कृतिक केंद्र के साथ हमारा अनुबंध है। हमें सभी गतिविधियों का विवरण उनके साथ साझा करना होता है। लेकिन हमें बूथ पर जो कुछ हो रहा था, उसकी जानकारी नहीं थी।”