Arvind Kejriwal Arrest: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका की टिप्पणी को लेकर भारत ने सख्त नाराजगी जताई है। भारत की ओर से कहा गया है कि यह एक आंतरिक मामला है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने भारत में अमेरिकी कार्यवाहक मिशन उप प्रमुख ग्लोरिया बरबेना को समन भेजकर हाजिर होने के लिए कहा। वह मंत्रालय पहुंचीं और 40 मिनट तक वहां रहीं।
इस बैठक के बाद भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है–“हम अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हैं। एक देश से दूसरे देश की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की उम्मीद की जाती है और इस संबंध में लोकतांत्रिक देशों की ज़िम्मेदारी और भी ज्यादा होती है।”
विदेश मंत्रालय के बयान में यह स्पष्ट करते हुए लिखा गया है कि भारत के पास एक आज़ाद न्यायपालिका है जो वक्त पर लोगों को न्याय देने के काबिल है। ऐसे में भारत की न्यायपालिका पर सवाल उठाना गलत है।
अमेरिका की ओर से क्या कहा गया था?
अमेरिका की ओर से अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर कहा गया था कि वह सीएम की हालिया गिरफ्तारी की रिपोर्टों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और निष्पक्ष,पारदर्शी कानूनी प्रोसेस की उम्मीद करते हैं। कुछ ही दिन पहले जर्मनी ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए निष्पक्ष सुनवाई हो, ऐसी बात कही थी।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने मामले के बारे में ईमेल से पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, “हम मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया को प्रोत्साहित करते हैं।” सीएम अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले में पैसों की लेन देन से जुड़े आरोपों की बुनियाद के तहत ईडी ने गिरफ्तार किया है।
अमेरिका से पहले जर्मनी ने भी अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर चिंता जताई थी। जर्मन विदेश मंत्रालय ने कहा था, “हम मानते हैं और उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से संबंधित मानकों को भी इस मामले में लागू किया जाएगा।” जर्मनी के इस बयान पर भारत ने नाराजगी जताई थी।