प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया है। उनकी तरफ से कई मुद्दों पर बात की गई है। उन्होंने विकसित भारत का भी रोडमैप दिखाया है। लेकिन इस सब के ऊपर जिस तरह से पीएम मोदी ने बिना नाम लिए विपक्ष पर निशाना साधा है, जिस तरह से उनकी तरफ से परिवारवाद का जिक्र हुआ है, एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में संविधान, पिछड़े समाज और परिवारवाद की काफी बात की है। समझने की चीज यह है कि इन्हीं मुद्दों को लेकर इस लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा बहस देखने को मिली थी। यहां तक माना जा रहा है कि संविधान और पिछड़े समाज की वजह से ही इस बार बीजेपी को अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं किया, यूपी में तगड़ा झटका लगा। लेकिन इस बार के संबोधन में पीएम मोदी की रणनीति साफ समझ आ रही है। उन्होंने दिखाने की कोशिश की है कि वर्तमान सरकार संविधान की कद्र करती है, पिछड़े समाज के लिए उसने काफी काम किया है।
PM मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें
संविधान को लेकर क्या बोले मोदी?
संविधान का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारे संविधान को 75 वर्ष हो रहे हैं… ये देश को श्रेष्ठ बनाने में अहम रहा है, भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाने में इसका योगदान रहा है। दलितों को सुरक्षा देने का काम संविधान ने किया है। अब जब 75 वर्ष होने वाले हैं, अपने कर्तव्यों को समझना जरूरी है, कर्तव्य केंद्र के भी हैं, राज्य सरकारों के भी हैं, हर संस्थान के हैं। लेकिन इसके साथ-साथ देश के 140 करोड़ लोगों के भी कर्तव्य हैं। सब अगर इसका पालन करेंगे तो सभी की रक्षा होगी, तब अधिकारों की रक्षा निहीत हो जाती है।
परिवारवाद को लेकर मोदी का मेगा प्लान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर बार की तरफ परिवारवाद का भी जिक्र किया। लेकिन बड़ी बात यह रही कि इस बार उनके मन में एक योजना थी जिससे वे परिवारवाद को समाप्त करने की बात कर रहे थे। इस बारे में पीएम मोदी ने बोला कि देश को राजनीति को हमे परिवार-जातिवाद से मुक्ति दिलवानी होगी। नए भारत में एक मिशन यह भी है कि हम जल्द से जल्द देश में, राजनीतिक जीवन में, एक लाख ऐसे नौजवान को आगे लाएं जिनके परिवार में किसी का भी कोई राजनीतिक बैकग्राउंड ना हो। जिसका माता-पिता, चाचा-चाची कोई राजनीति में ना हो, चाहे वो पंचायत में आए,लोकसभा में आएं, कोई भी प्रकार का पूर्व राजनीतिक इतिहास नहीं होना चाहिए। जरूरी नहीं है कि एक ही दल में ऐसा हो.. जिस दल में जाना है वहां जाएं, आने वाले दिनों में एक लाख ऐसे नौजवान खोजने चाहिएं जिनका कोई राजीतिक बैकग्राउंड ना हो, इससे नई सोच आएगी, लोकतंत्र समृद्ध होगा।
पिछड़े-दलित समाज को लेकर क्या बोले मोदी?
पीएम मोदी के इस बार के संबोधन में कई मौकों पर आदिवासी समाज, पिछड़े समाज का जिक्र रहा है। कभी आजादी में उनके योगदान की बात की गई है तो कभी झारखंड के क्रांतिकारी बिरसा मुंडा से प्रेरणा लेने के लिए कहा गया। पीएम मोदी ने केंद्र की कई योजनाओं को लेकर भी कहा कि उसका सीधा फायदा इस समाज को मिला है। देश के जिन गरीबों को गैस का चूल्हा मिला है, जिनका अब बैक अकाउंट खुल चुका है, वो सब मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं। अब बार-बार संबोधन के दौरान इस समाज का यूं जिक्र करना साफ बताता है कि बीजेपी एक बार फिर दलित वोटरों, आदिवासी वोटरों को अपने साथ जोड़ना चाहती है।