आयकर विभाग ने नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चित्रा रामकृष्ण और समूह परिचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम के खिलाफ कर चोरी के मामले में मुंबई स्थित उनके परिसरों पर गुरुवार को छापे मारे। रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 के बीच एनएसई की एमडी एवं सीईओ थीं।
आयकर विभाग की मुंबई जांच शाखा ने रामकृष्ण और सुब्रमण्यम के परिसरों पर आज तड़के छापे मारे। अधिकारियों के मुताबिक, इस कार्रवाई का मकसद दोनों के खिलाफ कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच करना तथा साक्ष्य जुटाना है। एनएसई में चल रही वित्तीय अनियमितताओं के बारे में 2015 में एक व्हिस्लब्लोअर ने शिकायत की थी। छह साल की जांच के बाद सेबी ने बीते शुक्रवार को 109 पन्नों की रिपोर्ट जारी की।
रामकृष्ण को लेकर बाजार नियामक सेबी ने हाल में एक आदेश जारी किया था, जिसके मुताबिक एनएसई की इस पूर्व एमडी एवं सीईओ ने किसी योगी के प्रभाव में आकर आनंद सुब्रमण्यम को संस्थान में पहले मुख्य रणनीतिक अधिकारी, फिर समूह परिचालन अधिकारी और उसके बाद प्रबंध निदेशक का सलाहकार नियुक्त किया। सेबी के मुताबिक, आनंद की दोनों नियुक्तियों में नियमों का उल्लंघन किया गया। इसे लेकर सेबी ने रामकृष्ण पर तीन करोड़ रुपए, एनएसई और उसके पूर्व प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि नारायण और सुब्रमण्यम पर दो-दो करोड़ रुपए तथा मुख्य नियामक अधिकारी वीआर नरसिम्हन पर छह लाख रुपए का जुर्माना लगाया था।
सेबी ने अपने आदेश में कहा था कि रामकृष्ण ने योगी के साथ विभागीय खुफिया जानकारियां साझा की थीं, जिनमें एनएसई की आर्थिक और कारोबारी योजनाएं शामिल हैं। रामकृष्ण और सुब्रमण्यम को तीन साल की अवधि के लिए किसी भी बाजार ढांचागत संस्थान या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ के साथ जुड़ने से निषिद्ध कर दिया गया हैं, जबकि नारायण के लिए यह पाबंदी दो साल के लिए है।
सेबी ने एनएसई को रामकृष्ण के अतिरिक्त अवकाश के बदले भुगतान किए गए 1.54 करोड़ रुपए और 2.83 करोड़ रुपए के बोनस (डेफर्ड बोनस) को जब्त करने का भी निर्देश दिया था। इसके साथ ही नियामक ने एनएसई को कोई भी नया उत्पाद पेश करने से छह महीने के लिए रोक दिया है। इस खुलासे के बाद कांग्रेस ने सरकार से एनएसई के कामकाज के तरीके पर श्वेत पत्र लाने की मांग की।
योगी का रहस्य
किसी ‘निराकार’ योगी के इशारे पर कई साल तक एनएसई के बड़े फैसले लिए गए। हिमालय के इस रहस्यमय योगी को न तो किसी ने कभी देखा और न ही कोई उससे कभी मिला। इस योगी की कहानी फिल्मी है। सेबी को पूछताछ में चित्रा ने बताया है कि वह हिमालय के एक रहस्यमय योगी की सलाह पर अपने फैसले लेती थीं। आनंद सुब्रमण्यम की भारी-भरकम पैकेज पर नियुक्ति चित्रा ने इसी रहस्यमय योगी के इशारे पर की थी।
सेबी के बयान के मुताबिक, पूछताछ में रामकृष्ण ने कहा कि योगी तो कहीं भी प्रकट हो जाते हैं। हिमालय का यह योगी कौन है इस बात का पता नहीं चला है। केवल बाबा की ईमेल आइडी ‘रिग्यार्जुनसामा एट द रेट आउटलुक डाट काम’ मिली है। रामकृष्ण ने सेबी को पूछताछ में बताया कि योगी परमहंस हैं। हिमालय में कहीं रहते हैं। 20 साल पहले गंगा के तट पर तीर्थ के दौरान मुलाकात हुई थी। चित्रा उस निराकार बाबा से ईमेल के जरिए पूछा करती थीं कि किस कर्मचारी को कितनी रेटिंग देनी है और किसे तरक्की देना है।
एनएसई की सभी महत्त्वपूर्ण जानकारियां बाबा को बताई जाती थीं। बोर्ड की बैठक का एजंडा तक बाबा को दिया जाता था। ईमेल में चित्रा उस योगी को शिरोमणि कहती थीं। सेबी की जांच में यह शक जताया गया है कि योगी कोई और नहीं, बल्कि आनंद सुब्रमण्यम ही है। सेबी के मुताबिक, एनएसई भी अपनी जांच में इसी नतीजे पर पहुंचा था।
कंसल्टेंसी फर्म अर्नस्ट एंड यंग के फारेंसिक आडिट में भी कहा गया है कि रामकृष्ण को खुद आनंद सुब्रमण्यम ही निर्देशित कर रहे थे। सुब्रमण्यम के डेस्कटाप पर ‘आनंद.सुब्रमण्यम9’ और ‘शिरोमणि.10’ नाम से स्काइप अकाउंट मिले थे। ये अकाउंट ‘रिग्यार्जुनसामा एट द रेट आउटलुक डाट काम’ और सुब्रमण्यम के मोबाइल नंबर से जुड़े थे। हालांकि सेबी इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं खोज पाई है।