आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए सात घंटे का कार्यक्रम तय किया गया है। समारोह हवन और पूजा के साथ शुरू होगा और पीएम मोदी के भाषण के साथ समाप्त होगा।

नए संसद भवन के निर्माण में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक बड़ा संविधान कक्ष, संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, विभिन्न समिति कक्ष, खाने के स्थान और पार्किंग होगी।

राष्ट्रपति से उद्घाटन की मांग करते हुए विपक्ष ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर दिया है। कांग्रेस ने नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से नहीं करवाए जाने को संविधान का अपमान बताया है। 19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन से दूरी भी बना ली है।

19 दलों द्वारा जारी किए गए ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा गया है कि जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से चूस लिया गया है तो हमें नई इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता। इस मामले से जुड़ी एक जनहित याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में डाली गयी थी जिसे शुक्रवार (26 मई) को सुप्रीम कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया था। 

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आज का पूरा शेड्यूल

28 मई, 2023 को होने वाला समारोह सुबह 7.30 बजे से 8.30 बजे तक हवन और पूजा के साथ शुरू होगा। महात्मा गांधी की मूर्ति के पास एक विशेष रूप से सजाया गया पंडाल मौजूद होगा।  पूजा के दौरान उपस्थित लोगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित कई अन्य मंत्री शामिल होंगे। पूजा के बाद लोकसभा स्पीकर की कुर्सी के पास सेंगोल स्थापित किया जाएगा। सुबह 9.00 बजे शंकराचार्य सहित प्रख्यात विद्वानों, पंडितों और संतों की उपस्थिति में एक प्रार्थना सभा शुरू होगी।

12 बजे शुरू होगा दूसरा चरण

दोपहर 12 बजे राष्ट्रगान के साथ समारोह का दूसरा चरण शुरू होगा। इस महत्वपूर्ण अवसर के महत्व को दर्शाने वाली दो लघु फिल्में दिखाई जाएंगी। इसके बाद राज्यसभा के उपसभापति द्वारा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिए गए संदेशों को पढ़ा जाएगा और औपचारिक कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके बाद इस अवसर पर एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया जाएगा। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अवसर पर संबोधित करेंगे। उकार्यक्रम दोपहर 2:00 से 2.30 बजे के बीच समाप्त होगा।

अब कार्यक्रम के बारे में तो आपको पता चल ही गया, लेकिन कई ऐसे छोटे बड़े सवाल हैं, जो नए और पुराने दोनों संसद भवन को लेकर मन में चल रहे हैं। एक-एक कर उनके जवाब भी यहां जान लीजिए-

पुरानी संसद भवन का क्या होगा?

इस समय लोगों के मन में सबसे पहला सवाल ये आ रहा है कि नई संसद भवन के उद्घाटन के बाद पुरानी वाली का क्या होगा। आपको बता दें कि सरकार इसका इंतजाम भी पहले से ही कर रखा है। बताया जा रहा है कि आने वाले समय में पुरानी संसद भवन का इस्तेमाल संसदीय कार्यक्रमों के लिए किया जाएगा। इसके अलावा इस पुरानी संसद भवन को एक म्यूजिय्म के तौर पर भी इस्तेमाल होगा। आने वाली पीढ़ियों को देश के लोकतंत्र के बारे में पता रहे, ये भी सरकार का एक उदेश्य रहने वाला है।

सेंट्रल विस्टा क्या नई संसद भवन से अलग है?

नहीं, असल में सेंट्रल विस्टा एक बड़ा प्रोजेक्ट है, और उस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा ये नया संसद भवन है। यानी कि नया संसद भवन सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का सिर्फ एक पहलू है। पूरे सेंट्रल विस्टा पर तो करीब 20 हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन अकेले नई संसद भवन की बात करें तो ये 12 हजार करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुई है। सेंट्रल विस्टा के अंदर तो राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति का घर भी शामिल है।

नए संसद भवन की जरूरत क्यों पड़ी?

सरकार के सामने ये सवाल कई बार पूछा गया है, विपक्ष के कई नेताओं ने भी बोला है कि पैसे की बर्बादी कर नए संसद भवन का निर्माण हुआ। लेकिन केंद्र का सीधा तर्क है कि वर्तमान संसद भवन में जगह कम है, ज्यादा सांसद नहीं बैठ सकते। एक्सपर्ट्स से नजरिए से देखें तो पुरानी संसद सुरक्षा के लिहाज से भी अब मुफीद नहीं है। अंग्रेजों के समय बनी पुरानी संसद 100 साल पुरानी होने वाली है, ऐसे में बड़े भूकंप को झेलने की इसमें ताकत नहीं। इस वजह से भी नए भवन का निर्माण हुआ है।

नए संसद भवन में खास क्या है?

सरकार के नजरिए से देखें तो इस नए संसद भवन में एक नहीं कई खास बाते हैं। जगह के लिहाज से तो बड़ा परिवर्तन आने वाला है। जो नया संसद भवन है, वहां पर अब लोकसभा में 888 सदस्यों की क्षमता रहने वाली है, पहले ये सिर्फ 552 थी। इसी तरह राज्यसभा में ये आंकड़ा नए संसद में 384 हो जाएगा जो पहले सिर्फ 250 था। संयुक्त बैठक के दौरान तो एक बार में अब 1272 सदस्य बैठ पाएंगे। आकर्षण का केंद्र इस बार लोकसभा और राज्यसभा का डिजाइन भी है। असल में नई लोकसभा को राष्ट्रीय पक्षी मयूर को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, वहीं राज्यसभा को कमल फूल से प्रेरित बताया गया है।