ममता बनर्जी का दिल्ली में आकर जोर दिखाना शायद कांग्रेस को रास नहीं आया। जिस तरह से पश्चिम बंगाल की सीएम कांग्रेस का विकल्प बनने के लिए मुहिम चला रही थीं, उससे लगता है कि कांग्रेस खासी आहत है। आज पार्टी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गुजारिश की कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। कांग्रेस का कहना है कि बंगाल में पिछले महीने 26 पॉलिटिकल मर्डर हुए हैं।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि वो इस मसले पर राष्ट्रपति से मुलाकात करके अनुच्छेद 355 के तहत कार्रवाई की मांग करेंगे। इसके तहत केंद्र गड़बड़ी होने की सूरत में किसी भी सूबे में अपना दखल देकर सरकार को बर्खास्त करके सारा नियंत्रण अपने हाथ में ले सकता है। वो राष्ट्रपति के नाम पर सूबे की देखरेख करता है। राज्यपाल के पास इस दौरान सारी एग्जीक्यूटिव शक्तियां होती हैं। उनके निर्देश पर ही सारा सरकारी अमला राज्य के हित से जुड़े फैसले लेता है।

बीरभूम मामले को लेकर बंगाल में बीजेपी के भी तेवर खासे तल्ख हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुई हिंसा पर बुधवार को दुख प्रकट कर उम्मीद जताई कि राज्य सरकार दोषियों को जरूर सजा दिलाएगी। कोलकाता स्थित विक्टोरिया मेमोरियल में नवनिर्मित विप्लवी भारत दीर्घा का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने राज्य सरकार को आश्वस्त किया कि अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलवाने में जो भी मदद वह चाहेगी, केंद्र सरकार उसे मुहैया कराएगी।

उधर, कलकत्ता हाईकोर्ट ने आज बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में हुई हिंसा और आगजनी में आठ लोगों के मारे जाने की घटना की फॉरेंसिक जांच के लिए दिल्ली सीएफएसएल को आदेश दिया। अदालत ने राज्य सरकार को बृहस्पतिवार को दोपहर दो बजे तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की बेंच इस मामले पर कल दोपहर दो बजे सुनवाई करेगी।

डबल बेंच ने पूर्वी बर्धमान के जिला जज की उपस्थिति में घटनास्थल पर सीसीटीवी लगाने और अगले आदेश तक रिकॉर्डिंग जारी रखने का निर्देश दिया। बेंच ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को पूर्वी बर्धमान के जिला जज से विमर्श करके गवाहों और आगजनी में घायल नाबालिग लड़के की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि इस मामले में निष्पक्ष जांच के लिए स्वत: संज्ञान वाली याचिका दर्ज की गई है।