उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण ने सभी 13 जिलों में अपने पैर पसार लिए हैं। 12 मई को राज्य में करीबन 78 कोरोना संक्रमित मरीज थे। 9 पर्वतीय जिले कोरोना से मुक्त थे। आज राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद 3608 हो गई है। सबसे ज्यादा कोरोना के मरीज देहरादून में 878 हैं। उसके बाद नैनीताल में 583 उधम सिंह नगर में 494 टिहरी गढ़वाल में 432 हरिद्वार में 376 अल्मोड़ा में 203 कोरोना संक्रमित मरीज है और सबसे कम टिहरी गढ़वाल जिले में 67 कोरोना मरीज हैं।

सबसे राहत की बात यह है कि 3608 कोरोना संक्रमित मरीजों में से 2856 मरीज ठीक होकर अपने घरों में चले गए हैं और केवल 671 मरीजों का इलाज राज्य के विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। उत्तराखंड से बाहर के राज्यों से आए 32 कोरोना संक्रमित मरीजों को उनके राज्यों में भेज दिया गया है।

49 कोरोना मरीजों की मृत्यु हुई है। अब तक विभिन्न राज्यों से करीबन साढे तीन लाख उत्तराखंड प्रवासी राज्य में आ चुके हैं जिनको राज्य में ही रोजगार देने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना लागू की गई है ताकि यह प्रवासी द्वारा से राज्य से पलायन ना करें इस बीच उत्तराखंड सरकार ने राज्य के विभिन्न जिलों के लोगों के लिए राज्य के चार धामों यमुनोत्री गंगोत्री केदारनाथ बदरीनाथ की यात्रा भी शुरू कर दी है। अब तक 13 दिन में 10,000 ई पास जारी किए गए हैं।

उत्तराखंड के अपर स्वास्थ सचिव युगल किशोर पंत के मुताबिक उत्तराखंड में संक्रमित मरीजों के ठीक होने की दर 79.16 फीसद है जो राष्ट्रीय दर से बहुत आगे है और राज्य में पिछले एक हफ्ते में डबलिंग रेट 39.68 फीसद है।

15 मार्च को आया था पहला संक्रमण मामला
25 जनवरी को उत्तराखंड सरकार को पहली बार सूचना मिली कि नेपाल में कोरोना संक्रमित मरीज का मामला आया था। जिसकी सूचना राज्य सरकार ने केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय और गृह मंत्रालय को दी थी। तभी से भारत-नेपाल सीमा पर चौकसी बरती जाने लगी। वहां से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जांच की गई। राज्य सरकार ने 12 मार्च को शिक्षण संस्थानों को बंद करने के निर्देश् दिए।

15 मार्च को उत्तराखण्ड में कोरोना संक्रमण का पहला मामला बाहर से आया। 15 मार्च को होटल, रेस्टोरेंट आदि के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए। 18 मार्च को सरकारी कार्यालयों को कोविड-19 के संबंध में वर्क फ्रॉम होम का निर्देश जारी किया।

इसी प्रकार का आदेश निजी कार्यालयों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों तथा औद्योगिक संस्थानों के लिए भी जारी किया गया। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन से ही प्रदेश में लगातार पूर्ण बंदी की गई । इस प्रकार पूर्णबंदी लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य था।