राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता के बारे में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी के आरोपों पर कांग्रेस कह रही है, ‘इन्फॉरमेशन सबमिट करते वक्त अगर कोई गलती हुई है तो उसे ठीक कर दिया जाएगा।’ अगर यह बात सच है तो फिर कांग्रेस को एक नहीं, कई गलतियों में सुधार करना होगा। आइए जानते हैं कैसे…
यूके कंपनीज हाउस का रिकॉर्ड चेक करने पर तीन अलग ‘वर्जन’ सामने आते हैं। पहला- राहुल गांधी की कंपनी Backops Limited से जुड़े ऐसे कुछ दस्तावेज हैं, जिनमें उन्हें ब्रिटिश नागरिक बताया गया है। दूसरा- कंपनी के ही कई अन्य दस्तावेजों में उन्हें भारतीय नागरिक भी बताया गया है। तीसरा- यहां भी राहुल गांधी को ब्रिटिश ही बताया गया, जिसे बाद में किसी ने हाथ खुरचकर ‘ब्रिटिश’ की जगह ‘इंडियन’ लिख दिया। दस्तावेजों की पड़ताल करने से पता चलता है कि राहुल गांधी ने 2002 में Backops नाम से इंजीनियरिंग डिजाइन आउटसोर्सिंग कंपनी की शुरुआत की थी। कुछ महीने बाद उन्होंने इसी से जुड़ी एक कंपनी ब्रिटेन में भी खोली। यूके कंपनीज हाउस में यह 21 सितंबर 2003 को Backops Limited नाम से रजिस्टर्ड की गई। इसमें राहुल गांधी के नाम 65 फीसदी और मैक्नाइट के 35 फीसदी शेयर दिखाए गए।

कांग्रेस उपाध्यक्ष की नागरिकता के संबंध में सुब्रमण्यम स्वामी ने जो आरोप लगाए हैं, वे 10 अक्टूबर 2005 और 31 अक्टूबर 2006 को फाइल किए गए रिटर्न पर आधारित हैं। इन दोनों दस्तावेजों में राहुल गांधी को ‘ब्रिटिश नागरिक’ बताया गया है। पहले रिटर्न में राहुल गांधी का पता- 2 फ्रॉग्नल वे, लंदन, NW3 6XE दर्ज है, जबकि दूसरे डॉक्टूमेंट में उनका पता- 51 साउथगेट स्ट्रीट, विन्चेस्टर, हैम्पशायर SO23 9EH बताया है। कंपनी के को-डायरेक्टर मैक्नाइट का पता भी यही पता है। 2004 में कुल टर्न ओर £65,380 दिखाया गया, जबकि नेट प्रॉफिट £6,034 बताया गया है। साल 2005 में कंपनी का टर्न ओवर £38,462 और नेट प्रॉफिट £8,066 दिखाया गया। 2006 में कंपनी ने विस्तार से टर्न ओवर और नेट प्रॉफिट की जानकारी नहीं दी, क्योंकि छोटी कंपनियों को ब्रिटेन में विशेष छूट प्राप्त है।

बहरहाल, कंपनी स्थापना (21 सितंबर 2003) के वक्त राहुल गांधी की नागरिकता भारतीय ही है। बॉर्स कंपनी हाउस, ब्रिस्टल में ये दस्तावेज राहुल गांधी के एजेंट डेमियन वार्डिंग्ले ने फाइल किए थे। जुलाई 2004 में कंपनी के को-डायरेक्टर मैक्नाइट की ओर से सबमिट किए गए दस्तावेजों में एक बार फिर राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताया गया है, लेकिन 8 अक्टूबर 2004 को इसे सशोंधित कर दिया गया और ब्रिटिश को काटकर इंडियन लिख दिया गया था। यह बदलाव हाथ से किया गया था।

हमने ब्रिटिश कंपनीज हाउस से इस मामले पर पक्ष रखने के लिए बात की, लेकिन उनका कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं हो सका। फिर हमने बासेट्स चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के प्रमुख राज रूपारेलिया से इस प्रकरण पर बात की। उन्होंने कहा, ‘डायरेक्टर्स की नागरिकता के बारे में जानकारी छिपाना फ्रॉड एक्टिविटी है। शायद इसके लिए जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। वैसे यहां ब्रिटिश या भारतीय नागरिकता के आधार पर किसी प्रकार की टैक्स छूट नहीं मिलती है। हां, लेकिन इस केस में इतना तो तय है कि कंपनी के एक डायरेक्टर को मालूम था कि गलती हुई है, जिसमें सुधार भी किया गया।’
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