केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों ने एक नए राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून के लिए मसौदा विधेयक के विभिन्न प्रावधानों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मसौदा तैयार होने के बाद इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल को भेजे जाने से पहले परामर्श के लिए पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा। देश में तीसरी कोविड लहर के साथ राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है।

प्रस्तावित राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 से काम कर रहा है और एक बार पारित होने के बाद यह 125 वर्ष पुरानी महामारी रोग अधिनियम 1897 (Epidemic Diseases Act, 1897) की जगह लेगा। यह बायो टेररिज्म, प्राकृतिक आपदा, रासायनिक और परमाणु हमलों के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य और आपात स्थिति को भी कवर करेगा। नया मसौदा कई स्थितियों को परिभाषित करता है जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया जा सकता है।

राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का नेतृत्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा किया जाना प्रस्तावित है, जिसकी अध्यक्षता राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री करेंगे। जिला कलेक्टर अगले स्तर का नेतृत्व करेंगे, और ब्लॉक इकाइयों का नेतृत्व ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी या चिकित्सा अधीक्षक करेंगे। इन अधिकारियों के पास उभरती संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए उपाय करने का अधिकार होगा।

मसौदे में आइसोलेशन, क्वारनटाइन और लॉकडाउन जैसे विभिन्न उपायों को परिभाषित किया गया है, जिन्हें केंद्र और राज्यों द्वारा कोविड प्रबंधन के लिए बड़े पैमाने पर लागू किया गया है। लॉकडाउन की परिभाषा में सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में किसी भी स्थान पर व्यक्तियों की आवाजाही या सभा पर प्रतिबंध शामिल है। इसमें कारखानों, संयंत्रों, खनन, निर्माण, कार्यालयों, शैक्षिक संस्थानों या बाजार स्थलों के कामकाज को प्रतिबंधित करना भी शामिल है।

2017 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सार्वजनिक स्वास्थ्य (रोकथाम, नियंत्रण और महामारी, बायो-आतंकवाद और आपदा प्रबंधन) अधिनियम, 2017 का मसौदा जारी किया था। सितंबर 2020 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने संसद में घोषणा की थी कि सरकार राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून बनाएगी।