आइआइटी मद्रास में संक्रमण की स्थिति की जांच के लिए पिछले एक दिसंबर से ही नमूना एकत्रित करने की प्रक्रिया जारी थी। अब उनमें से एक सौ तिरासी के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। इनमें विद्यार्थियों सहित कैंटीन के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं। हालांकि संक्रमण के लिहाज से संस्थान परिसर को अभी स्थानीय क्षेत्र ही बताया गया है, लेकिन सिलसिलेवार जांच के बाद जो तस्वीर उभरी है, उससे साफ है कि अगर ध्यान नहीं रखा गया और हर स्तर पर कोरोना से बचाव के नियमों के पालन को लेकर सख्ती नहीं बरती गई तो छोटे क्षेत्र में सीमित होने के बावजूद इसका खतरा गंभीर साबित हो सकता है।
गौरतलब है कि इस संस्थान के परिसर में अभी केवल दस फीसद विद्यार्थी ही उपस्थित हैं। यह इसलिए भी इजाजत दी गई कि अपनी नियमत शिक्षा के क्रम में उन्हें प्रयोगशालाओं में काम करने की जरूरत थी। निश्चित तौर पर इन विद्यार्थियों के शिक्षण सहित छात्रावासों में रहने और खाने के लिए कैंटीन और दूसरे इंतजामों में लगे लोग भी मौजूद होंगे।
यह किसी से छिपा नहीं है कि यह ऐसी बीमारी है, जो किसी एक व्यक्ति के संक्रमित होने पर दूसरों में भी तेजी से फैलती है। जाहिर है, परिसर में किसी व्यक्ति के माध्यम से संक्रमण फैला और इतनी बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो गए। देश भर में हर समय सरकारें कोरोना से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान चला रही हैं। समय-समय पर चेतावनी जारी की जाती है कि लापरवाही बरतने पर स्थिति गंभीर हो सकती है।
इसके बावजूद यह नौबत क्यों आई? क्या परिसर में कोरोना से बचाव के लिए मास्क लगाने, एक दूसरे से कुछ दूरी बरतने और दूसरे उपायों को लेकर एहतियात सुनिश्चित की गई थी? परिसर में विद्यार्थियों के प्रयोगशाला में काम या पढ़ाई और कैंटीन में खाने-पीने सहित दूसरी गतिविधियों के बीच में कौन-सी ऐसी स्थिति रही, जिसकी वजह से इतनी बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो गए? अब संस्थान के प्रबंधन को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि आखिर यह संक्रमण कैसे फैला!
दरअसल, इस मामले में शुरुआती दौर में की गई सख्ती में राहत को जहां गंभीरता से लिया जाना चाहिए था और बचाव के लिए सारे एहतियात बरते जाने चाहिए थे, वहां कई लोगों ने इसे संक्रमण से भी राहत के रूप में देखना शुरू कर दिया। ऐसी शिकायतें आम हैं कि लोग मास्क पहनने या आपसी दूरी बरतने के मामले में लापरवाही बरतने लगे हैं।
यह बेवजह नहीं है कि कुछ जगहों से कोरोना के संक्रमण की थमती रफ्तार फिर से बेकाबू होने की खबरें आर्इं। मसलन, शुरुआती दौर में चिंताजनक दौर से गुजरने के बाद दिल्ली में तेजी से मामले कम हुए थे। लेकिन कुछ दिनों पहले फिर से संक्रमण में तेजी आ गई थी।
हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर फिलहाल संक्रमण के मामलों में कमी दर्ज की जा रही है। मंगलवार को पिछले लगातार एक सौ इकसठ दिनों बाद तेईस हजार से कम नए मामले सामने आए और मरीजों के ठीक होने की दर भी पनचानबे फीसद से अधिक हो गई। लेकिन अगर संक्रमण पर काबू पाने की इस रफ्तार को कायम रखना है तो इससे बचाव ही सबसे कारगर रास्ता है। इसमें ढिलाई या लापरवाही का अंजाम क्या हो सकता है, आइआइटी मद्रास में संक्रमण फैलना इसका उदाहरण है।
