दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में हत्या की साजिश रचने का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कुमार को अपराध के लिए उकसाने, सिखों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करने वाले भाषण देने के आरोप में दोषी ठहराते हुए कहा कि ‘‘सत्य हमेशा जीतेगा और न्याय कायम रहेगा।’’
कोर्ट ने इस फैसले में 1993 के मुंबई दंगा, 2002 के गुजरात दंगा, 2008 के कंधमाल हिंसा और 2013 के मुजफ्फरनगर हिंसा में अल्पसंख्याकों की बड़े पैमाने पर हत्या का भी जिक्र किया। कोर्ट ने कहा कि सिख विरोधी दंगा में ठीक उसी तरह बड़े पैमाने पर लोगों की हत्या की गई, जैसे अन्य दंगों में अल्पसंख्यको को निशाना बनाया गया। अपराधियों ने राजनीतिक संरक्षण का उपयोग किया और बच निकले। इन अपराधियों को सजा देना यह हमारे कानूनी प्रक्रिया के लिए एक बड़ी चुनौती है।
In its #1984riotsverdict, #Delhi HC adds mass killing of minorities in 1993 #Mumbai riots, 2002 #Gujarat riots, 2008 #Kadhamal violence & 2013 #Muzaffanagar riots. Criminals enjoyed political patronage & escaped punishment, regretted the HC. pic.twitter.com/FKq87uGIWC
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) December 17, 2018
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि सज्जन कुमार को ताउम्र जेल में रहना होगा और उन्हें 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। पीठ ने कुमार को अभी से लेकर 31 दिसम्बर तक दिल्ली छोड़कर ना जाने का निर्देश भी दिया। निर्देश देते हुए अदालत ने कहा कि निचली अदालत द्वारा बरी कुमार के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अपील को मंजूरी दे दी है। निचली अदालत ने एक सिख परिवार के पांच सदस्यों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेन्दर सिंह, नरेन्द्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या से जुड़े मामले में कुमार को बरी कर दिया था। बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद भड़के दंगों के दौरान एक नवम्बर को दिल्ली छावनी के राज नगर इलाके में इन लोगों की हत्या की गई थी।
अदालत ने इस मामले में कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी भागमल, गिरधारी लाल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव और कृष्ण खोखर की दोषिसद्धि भी बरकरार रखी और अलग-अलग सजाएं सुनाईं। इन्हें दंगों के दौरान सिखों के घरों और एक गुरुद्वारे में आग लगाने की साजिश रचने का दोषी भी पाया गया। अदालत ने उन्हें भी 31 दिसम्बर तक आत्मसमर्पण करने और शहर छोड़कर ना जाने का निर्देश दिया है। आदेश सुनाते हुए पीठ ने निचली अदालत में दोषी ठहराए गए पांच लोगों की ओर से दायर याचिकाएं भी खारिज कर दीं। निचली अदालत ने भी इन्हें दोषी ठहराया था। (भाषा इनपुट के साथ)