सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय को उस समय नसीहत दी जब उन्होंने अपने साथी वकील को गलत तरीके से बुलाया। उन्होंने कहा कि आपका साथी है तो क्या हुआ, कोर्ट में कम से कम नाम लेने का सही तरीका तो होना चाहिए।
दरअसल सीजेआई अपनी कोर्ट में एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। उस दौरान वकील अश्विनी उपाध्याय से सवाल पूछा तो एडवोकेट का कहना था कि बेंच के सामने कोई गोपाल पेश हो रहा है।
इस पर सीजेआई अश्विनी उपाध्याय से बोले कि वो कोई गोपाल नहीं है। उनका नाम गोपाल शंकरनारायणन है। सीजेआई यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने कहा कि कम से कम नाम तो तरीके से लीजिए। चाहे भले ही गोपाल शंकरनारायण आपके दोस्त हो, लेकिन आप सुप्रीम कोर्ट में खड़े हैं और आप एक वकील के तौर पर बेंच से बात कर रहे हैं।
अश्विनी उपाध्याय ने अपनी गलती के लिए उनसे सॉरी बोला और फिर ठीक से नाम लिया।
SCBA अध्यक्ष विकास सिंह पर भी भड़के थे सीजेआई
कुछ अरसा पहले सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रधान विकास सिंह के साथ उनकी गहमागहमी चर्चा का विषय बनी थी। दरअसल विकास सिंह सुप्रीम कोर्ट की जमीन से जुड़े मामले में सीजेआई से तुरंत तारीख की मांग कर रहे थे। लेकिन सीजेआई उनसे कह रहे थे कि ये सामान्य याचिका है।
विकास सिंह ने जब कहा कि वो तारीख के लिए उनके घर तक आ सकते हैं तो सीजेआई ने उन्हें अपनी कोर्ट से बाहर जाने के लिए कह दिया। उस दौरान सीजेआई के तेवर काफी तीखे थे।
बाद में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और नीरज किशन कौल ने विकास सिंह के बर्ताव को लेकर सीजेआई से माफी मांगी।
हालांकि ये बात भी तूल पकड़ी और बार को लगा कि दोनों ने बगैर जाने समझे माफी मांगकर गलत किया। दोनों के खिलाफ एक्शन को लेकर बार प्रस्ताव भी लाने की तैयारी कर रही थी। लेकिन सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी के हस्तक्षेप के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएश ने अपने प्रस्ताव को रद कर दिया।