जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को पिछले साल निष्क्रिय कर दिया गया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीनकर इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। अब संसद में लिए गए इस फैसले को एक साल पूरे होने वाले हैं। इस बीच जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने हिज्बुल मुजाहिद्दीन से जुड़े आतंकी बुरहान वानी की मौत (8 जुलाई 2016) के बाद और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने (5 अगस्त 2019) के बाद के समय का तुलनात्मक विश्लेषण पेश किया है। इसमें उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में दो अलग-अलग अवधियों के बीच लॉ और ऑर्डर से जुड़ी घटनाओं की तुलना की है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक, बुरहान वानी के मारे जाने के बाद हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए थे। बुरहान के मारे जाने के छह महीने के अंदर ही राज्य में 2500 से ज्यादा हिंसक घटनाएं हुई थीं। इसमें 117 आम लोगों की भी जान गई थी। हालांकि, उस समय की तुलना अगर 5 अगस्त के बाद से की जाए, तो सामने आता है कि इस दौरान केंद्र शासित प्रदेश में हिंसा की 196 घटनाएं ही हुईं। इनमें किसी भी आम नागरिक की जान नहीं गई।
डीजीपी दिलबाग सिंह के मुताबिक, कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के छह महीनों की पिछले साल इसी दौरान के छह महीनों से तुलना की जाए, तो लॉ एंड ऑर्डर से जुड़ी घटनाओं में 78 फीसदी की कमी देखी गई। वहीं, जनवरी-जून 2019 में हुई 767 हिंसक घटनाओं के मुकाबले जनवरी-जून 2020 में ऐसी सिर्फ 168 घटनाएं दर्ज हुई, जो कि करीब 500 फीसदी की कमी है। वहीं, आतंक से जुड़ी घटनाओं में भी कमी आई। दूसरी तरफ जहां जनवरी-जुलाई 2019 में 198 आतंकी घटनाएं दर्ज हुईं, वहीं 2020 में इस दौरान 124 घटनाएं ही सामने आईं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में बंदी बुलाने के आह्वान भी 2018 के 76 के मुकाबले 2019 में 31 ही रह गए।
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल के शुरुआती सात महीनों में सुरक्षबलों के वर्दीधारी जवानों की मौत का आंकड़ा भी कम हुआ है। जहां 2019 में ऐसे 76 जवानों की जान गई थी, वहीं 2020 में यह संख्या 36 रह गई है। डीजीपी दिलबाग सिंह के मुताबिक, कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह अलग-अलग मोर्चों पर काफी बड़ा सुधार है।
हालांकि, सुरक्षा संस्थानों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हिंसक घटनाओं और आतंकी गतिविधियों में यह बड़ी कमी मुख्यतः तीन वजहों से आई। पहली यह कि 5 अगस्त के बाद कश्मीर में अभूतपूर्व तरीके से सुरक्षाबल तैनात कर दिए गए। इसके अलावा निचले स्तर के राजनीतिक कार्यकर्ताओं को एहतियात के तौर पर गिरफ्तार कर लिया गया। साथ ही प्रदर्शनकारियों के पास प्रदर्शन के लिए नेतृत्वकर्ताओं की कमी पड़ गई। हालांकि, केंद्र शासित प्रदेश में भले ही कानून के उल्लंघन से जुड़ी घटनाओं में कमी आई हो, लेकिन स्थानीय युवाओं का आतंकी गतिविधियों में शामिल होना अभी भी चिंता का विषय है।
इस साल जनवरी की शुरुआत से अब तक 80 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। इनमें से 38 मारे गए हैं, जबकि 22 को पकड़ लिया गया। कुल मिलाकर 2020 में सुरक्षाबलों ने 41 ऑपरेशन में 150 आतंकियों को मार गिराया। 5 अगस्त 2019 से 31 दिसंबर 2019 के बीच भी 26 आतंकी मारे गए थे। यानी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अब तक 176 आतंकी मारे जा चुके हैं।
