नरपत दान चारण
क्या आपने सोचा कभी कि नदी के पानी का कल-कल निनाद और मंद शीतल बयार के झोंके हमें आनन्दमय क्यों नहीं लगतीं? क्यों परिंदो का कलरव हमारा ध्यान नहीं खींच रहा है? इसका कारण है कि हम जटिलता में जीने लगे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इंसान ने खुद को सब कुछ पाने की मानसिक और शारीरिक क्रिया में गहरे से उलझा रखा है। और इसके कारण वह सहजता, सरलता और संयम के त्रिगुण के अनुपम सुख से अनजान रह जाता है।
दरअसल दुनियादारी की अंधी होड़ में हम अपने जीवन का अवलोकन और अनुभव ही नहीं करते। और यह अनुभव तभी संभव है, जब हम जीवन में सहजता, सरलता और संयम को अपनाएं। यह त्रिगुण ही अपने आप में जीवन की वास्तविकता का सार है। इन तीनों का समाहार जरूरी है। ये तीनों एक बंध से जुड़े है।
संयमित होने का प्रयास ही सरलता और सहजता का वातावरण स्थापित करने में सक्षम हो सकता है। संयमित होने की प्रवृत्ति, संयमित अभिव्यक्ति हमें पल-पल सरलता और सहजता की ओर ले जाती है। आध्यात्मिक वास्तविकता तभी उभरती है जब आप सहज, सरल और संयमित हो।
इन त्रिगुण के पालन से मानव जीवन सम्यक अर्थ में वास्तविक जीवन बना रहता है। यही हमारा जीवन जीना होता है। इससे पृथक होते ही जीवन सिर्फ जटिलता में केवल व्यतीत करने तक सीमित हो जाता है। अज्ञान,अति चाह और दंभ जीवन को जटिलतम बनाते हैं।
अक्षर सब कुछ प्राप्ति की अनावश्यक कामना में मन और तन इतने अधिक उलझ जाते हैं कि अंतकाल तक उलझन ही रहती है। इसके विपरीत सहज, संयमित और सरल जीवन चिंता से मुक्ति की डगर है। सहजता, सरलता में जीवन को असाधारणता और अलौकिकता प्राप्त होती है। और यह तभी संभव होगा, जब वह संयम, सहजता और सरलता को स्वीकार कर बाहरी दिखावा या आडंबरों, लालसा से अपनी वृत्ति तथा मन को मुक्त रख सके।
हमें ऐसे मन कि जरूरत है, जो अति की चाह, प्रपंच और तृष्णा से मुक्त हो अर्थात जो शान्त, धीर और स्थिर हो। लेकिन ऐसा कर पाना अहम है। चूंकि अधिकतर व्यक्ति अपने आप को ही नहीं जानते हैं कि मैं कौन हूं? मेरा अस्तित्व क्या है? इसीलिए मनुष्य क्षणिक और सहज आनंद को महसूस नहीं कर पाता।
न फूलों के सौंदर्य, न पक्षियों की चहचहाहट का आनन्द ले पाता है। हम अपने बारे में वही देख पातें या जान पाते हैं, जो हमारा पूर्व अनुमान है। समझदार व्यक्ति अपने जीवन में सहजता और सरलता की तरफ आकृष्ट और संकल्पबद्ध रहता है, संयमित रहता है, जीवन की परख करता है, सूत्र पकड़ता है कि जीवन की लय क्या है। जब उस राह को पकड़ लेता है, तो आनन्द के मुकाम को पा लेता है। इसलिए यदि मनुष्य, जीवन की नीरसता को निकाल कर आनंदमय बनाना चाहता हैं, तो अपने जीवन को सहजता, संयम और सरलता से जोड़ना होगा।

