दशकों पुराने मामले में पंजाब के मंत्री और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें आने वाले समय में बढ़ सकती हैं। उनकी ही सरकार ने कोर्ट में इस मामले में सिद्धू को सजा देने की मांग की है। पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 1988 के पटियाला रोड रेज मामले में क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिद्धू की सजा को बरकरार रखने की मांग की है। तकरीबन 30 साल पुराने इस मामले में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सिद्धू को दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। पंजाब के मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी। बता दें कि रोड रेज के इस मामले में सिद्धू की पिटाई से गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही सिद्धू के खिलाफ एक अर्जी दाखिल की गई थी, जिसमें उनके एक इंटरव्‍यू का हवाला दिया गया था। इसमें उन्‍होंने कथित तौर पर माना था कि उन्‍होंने गुरनाम की पिटाई की थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी। सिद्धू ने इस अर्जी का विरोध किया है। अब कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नवजोत सिद्धू की सजा को बरकरार रखने की मांग की है। सिद्धू इन आरोपों को शुरू से खारिज करते रहे हैं।

पंजाब सरकार के वकील ने सिद्धू के बयान को बताया झूठा: पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील ने रोड रेज के मामले में नवजो‍त सिंह सिद्धू द्वारा दिए गए बयानों को झूठा करार दिया है। बता दें कि सिद्धू ने पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले पाला बदल‍कर भाजपा से कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस के सत्‍ता में आने के बाद उन्‍हें मंत्री भी बना दिया गया। लेकिन, तकरीबन 30 साल पुराने रोड रेज का मामला फिर से खुलने से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। हाई कोर्ट ने उन्‍हें गैरइरादतन हत्‍या के मामले में दोषी ठहराया है। बता दें कि वर्ष 1988 में सिद्धू कार से जा रहे थे जब पटियाला में गुरनाम सिंह नामक बुजर्ग व्‍यक्ति से उनका झगड़ा हो गया था। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने सिद्धू और उनके दोस्‍त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैरइरादतन हत्‍या का मामला दर्ज किया था। निचली अदालत ने सिद्धू को बरी कर दिया था