मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा को पद से हटाने का नोटिस राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया, लेकिन अब इसको लेकर न्यायिक लड़ाई शुरू हो गई है। इसको लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में ‘द जजेज (इनक्वायरी) एक्ट, 1968’ के एक प्रावधान को चुनौती दी गई है। चंडीगढ़ के अधिवक्ता हरि चंद अरोड़ा ने इस कानून से महाभियोग के प्रावधान को हटाने की मांग की है। उन्होंने अपनी याचिका में दलील दी कि 228 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, ऐसे में उनका स्वार्थ (कानून के साथ) हितों का टकराव वाला है। अधिवक्ता अरोड़ा ने याचिका के माध्यम से कहा, ‘कई सांसद ऐसे हैं जो वकालत भी करते हैं। ऐसे सांसदों द्वारा सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के किसी जज को पद से हटाने का प्रयास भी हितों के टकराव का मामला है। लिहाजा, प्रावधान जो कुछ सांसदों को जजों को पद से हटाने के लिए उन्हें प्रस्ताव लाने की अनुमति देता है, वह संविधान के अनुच्छेद 124(4) की मूल भावना के खिलाफ है।’ संविधान के अनुच्छेद 124(4) में जजों को पद से हटाने का उल्लेख किया गया है। संवैधानिक प्रावधान के तहत जजों को ‘साबित कदाचार’ या ‘अक्षमता’ के आधार पर ही पद से हटाने के लिए संसद में प्रस्ताव लाया जा सकता है। अरोड़ा की जनहित याचिका पर 26 अप्रैल को सुनवाई होगी।
न्यायिक प्रणाली को नुकसान: अधिवक्ता हरि चंद अरोड़ा ने अपनी याचिका में कांग्रेस की अगुआई में सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा को पद से हटाने के लिए राज्यसभा के सभापति को नोटिस देने का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि सिर्फ 64 सांसदों ने नोटिस पर हस्ताक्षर किया था। संसद में कुल 797 सदस्य हैं और हस्ताक्षर करने वाले सांसदों की तादाद सिर्फ आठ फीसद है। अरोड़ा ने कहा, ‘वे लोग सिर्फ न्यायिक प्रणाली के लिए बेहिसाब शर्मिंदगी की वजह बने। इस तरह की महत्वपूर्ण अर्जी सामान्य प्रस्ताव से बहुत अलग होती है, जिसे निर्धारित प्रक्रिया और समय के बाद ही ठुकराया जा सकता है। इस तरह के महाभियोग प्रस्ताव के खारिज होने पर भी न्यायिक तंत्र को अपूरणीय क्षति हो जाती है।’
A group of lawyers start a signature campaign outside Bombay High Court in support of Chief Justice of India Dipak Misra. pic.twitter.com/aMsBWBQ0A3
— ANI (@ANI) April 25, 2018
सीजेआई के समर्थन में मुंबई में वकीलों का हस्ताक्षर अभियान: सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा के समर्थन में मुंबई के वकीलों ने हस्ताक्षर अभियान चलाया है। वकीलों के एक समूह ने बांबे हाई कोर्ट के सामने हस्ताक्षर अभियान चलाया। बता दें कि कांग्रेस की अगुआई में सात दलों ने सीजेआई के खिलाफ राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को नोटिस दिया था। कांग्रेस के इस कदम पर कानूनविदों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी। कुछ ने नोटिस को सही माना तो कुछ ने इसे पूरी तरह गलत बताया। आलोचकों ने कांग्रेस पर न्यायपालिका को भी राजनीति में घसीटने का आरोप लगाया है।