फिनलैंड में 180 स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों पर किए गए एक अध्ययन के मुताबिक फाइजर कोरोना रोधी टीके की दो खुराक सार्स-सीओवी-2 के स्वरूपों के खिलाफ काफी अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उभारती हैं। ‘नेचर कम्यूनिकेशंस’ पत्रिका में 28 जून को प्रकाशित इस शोध में पाया गया कि पहली बार ब्रिटेन में सामने आए अल्फा स्वरूप के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उतनी ही मजबूत है जितनी चीन के वुहान में 2019 में सामने आए मूल विषाणु के खिलाफ थी। इसमें पाया गया कि पहली बार दक्षिण अफ्रीका में सामने आए बीटा स्वरूप के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कुछ घटी लेकिन टीके ने निष्प्रभावी करने वाली प्रतिरक्षा बना ली थीं जो स्वरूप के खिलाफ अपेक्षाकृत बेहतर सुरक्षा देती हैं।

निष्प्रभावी करने वाली प्रतिरक्षा विषाणुओं से कोशिकाओं की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होती हैं। तुर्कु विश्वविद्यालय और हेलंसिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने कोरोना विषाणु रोधी टीकाकरण से उभरने वाली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का अध्ययन किया। यह अध्ययन पिछले साल दिसंबर में फिनलैंड में शुरू किया गया था। उन्होंने 180 स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों में टीके की प्रतिक्रिया का विश्लेषण किया। इन कर्मियों में से प्रत्येक को फाइजर-बायोएनटेक एमआरएनए टीके की दो खुराक लग चुकी थीं। अनुसंधानकर्ताओं ने इनकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की तुलना कोरोना के ठीक हो चुके मरीजों की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से की। इस अध्ययन में शामिल प्रतिभागी 20 से 65 साल आयुवर्ग के थे और इनमें से 149 महिलाएं और 31 पुरुष थे।

कोरोना से ठीक हो चुके 50 लोगों को इस अध्ययन में शामिल किया गया जो 19 से 93 साल आयु वर्ग के बीच के थे जिनमें से 33 महिलाएं और 17 पुरुष थे। जिन लोगों को टीके लग चुके थे, उनमें टीके की दो खुराकों के बाद मूल विषाणु के खिलाफ प्रतिरक्षा का स्तर शानदार पाया गया। प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विषाणु के अल्फा स्वरूप के खिलाफ भी उतनी ही मजबूत मिली। तुर्कु विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इक्का जुल्कुनैन ने कहा कि यह अध्ययन कोरोना रोधी टीके की प्रभावशीलता और कामकाजी उम्र वाली आबादी में उनकी उम्र या लिंग को लेकर भेदभाव किए बगैर प्रतिक्रिया प्रतिक्रिया को उभारने की क्षमता को प्रदर्शित करता है।