दिल्ली और राजस्थान के कई हिस्सों में शनिवार को बारिश हुई। जिसके बाद IMD ने कहा कि मानसून के 27 मई को केरल पहुंचने की उम्मीद है, सामान्य तौर पर एक जून को देता है दस्तक। राजधानी में शनिवार को न्यूनतम तापमान 25.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो इस मौसम के सामान्य तापमान से 0.7 डिग्री कम है और हल्की बारिश की भी संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी। आईएमडी ने अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना जताई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार शनिवार को सुबह 9 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 179 रहा जो कि ‘मध्यम’ श्रेणी में आती है। पश्चिमी विक्षोभ के असर से राजस्थान के अनेक इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश हुई। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के जयपुर केंद्र के अनुसार शनिवार सुबह तक चौबीस घंटे की अवधि में राज्य में कहीं-कहीं गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश हुई।

राजस्थान में बारिश

सबसे अधिक बारिश निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ़) में 43 मिलीमीटर दर्ज की गई। इस दौरान सर्वाधिक अधिकतम तापमान चूरू में 38.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से 4.0 डिग्री कम है। इसके अनुसार राज्य में आंधी-बारिश की गतिविधियों में 12-13 मई से कमी होने और तापमान में तीन से पांच डिग्री बढ़ोतरी होने की संभावना है।

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मई में ही आ जाएगा मानसून

आईएमडी ने शनिवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के 27 मई को केरल पहुंचने की संभावना है, जो आमतौर पर एक जून को दस्तक देता है। आईएमडी के आंकड़े के अनुसार, अगर मानसून केरल में उम्मीद के अनुरूप पहुंचता है तो यह 2009 के बाद से भारतीय मुख्य भूमि पर मानसून का समय से पहले आगमन होगा। तब मानसून ने 23 मई को दस्तक दी थी। भारतीय मुख्य भूमि पर मानसून के आगमन की आधिकारिक घोषणा तब की जाती है जब यह केरल पहुंचता है, आमतौर पर एक जून के आसपास। दक्षिण-पश्चिम मानसून 8 जुलाई तक पूरे देश में छा जाता है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस हो जाता है।

आईएमडी के एक अधिकारी ने कहा कि मानसून के आगमन की तिथि और पूरे देश में इस मौसम में होने वाली कुल वर्षा के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। अधिकारी ने कहा, ‘‘केरल में मानसून के जल्दी या देर से पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह पहुंचेगा। यह बड़े पैमाने पर परिवर्तनशीलता और वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय स्थितियों पर निर्भर होता है।” आईएमडी ने अप्रैल में 2025 के मानसून में सामान्य से अधिक कुल वर्षा का पूर्वानुमान जताया था और अल नीनो परिस्थितियों की संभावना को खारिज कर दिया था, जो भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से जुड़ी है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम रविचंद्रन ने कहा था, ‘‘भारत में चार महीने के मानसून (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।’’

(इनपुट-भाषा)