Weather Forecasting: कुछ समय पहले तक भारत का मौसम विभाग मानसून के मौसम के दौरान बारिश का पहले से अनुमान लगाने या चार महानगरों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान बताने के लिए मौजूद था। हालांकि, विभाग अपनी तरफ से सभी जरूरी काम भी कर रहा था, लेकिन ऐसा लग रहा था कि आम लोगों के लिए अब उसका कोई खास मतलब नहीं था। पिछले एक दशक में यह स्थिति काफी बदल गई है।

मौसम संबंधी जानकारी की मांग आम लोगों में भी बहुत ही ज्यादा है। आईएमडी हर दिन सिर्फ बारिश ही नहीं बल्कि सभी तरह की मौसमी घटनाओं के बारे में भी जानकारी देता है। मौसम विभाग में लोगों का भरोसा लगातार बढ़ा ही थी। इसकी वजह इसकी सटीकता को माना जाता है। लेकिन और भी सटीक अनुमान की मांग अब लगातार बढ़ रही है। जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाली घटनाएं और कभी-कभी जो आपदाएं आती हैं उनकी वजह से इसकी मांग ज्यादा बढ़ रही है।

मौसम पूर्वानुमान को अपग्रेड करने की जरूरत

इस बढ़ती हुई जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार आईएमडी की क्षमता को अपग्रेड करने की प्लानिंग कर रही है। मौसम पूर्वानुमान के इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और स्किल का अपग्रेड होना एक प्रेक्टिस है। 2012 में मानसून मिशन के तौर पर एक बड़ा कदम उठाया गया। इसका मकसद लंबे टाइम के मानसून पूर्वानुमान को अच्छा बनाना था। इसके बाद डॉपलर रडार, कंप्यूटिंग सिस्टम और भी तमाम तरह की नई पहल शुरू की गई। अब आईएमडी के पास में एक अच्छा मॉनिटरिंग और बेहतर नेटवर्क है। इतना ही नहीं ज्यादा डेटा और कंप्यूटिंग पावर है। इसने आईएमडी को काफी बेहतर मौसम पूर्वानुमान देने के लिए तैयार किया है। इसको उदाहरण के तौर पर देखें तो इसमें रियल टाइम फोरकास्ट और हीट वेव वार्निंग शामिल हैं।

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लोगों का आईएमडी में बढ़ा भरोसा

मौसम पूर्वानुमानो के बारे में लोगों के विचारों में बदलाव साइक्लोन की सटीक भविष्यवाणी देने के बाद में आया है। अक्टूबर 2013 में फेलिन से शुरू होने वाले साइक्लोन के समय पर और सटीक पूर्वानुमानों ने भरोसे को बढ़ा दिया। इसकी वजह से सैकड़ों लोगों की जाने वाली जान बच गई। साइक्लोन के पहले मिलने वाली वार्निंग सिस्टम की कामयाबी ने आईएमडी पर लोगों का भरोसा और भी मजबूत कर दिया। पिछले एक दशक से मानसून वाले अनुमान भी लगभग हर बार सही साबित हुए हैं। हालांकि, हाइपरलोकल के लिए पूर्वानुमान लगाना काफी मुश्किल भरा रहा है। इसमें किसी खास हिस्से में बारिश भी शामिल है। जलवायु परिवर्तन की वजह से चुनौतियां बढ़ रही हैं। आईएमडी को इसी तरह की चुनौतियों के उभरने के लिए खुद को अपग्रेड करने की जरूरत है।

पिछले एक दशक में भले ही आईएमडी ने अपनी पूर्वानुमान वाली स्किल को बढ़ाया है, लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम ने अपना पैटर्न बदल दिया है। इसी की वजह से और भी ज्यादा मुश्किल आती है। ट्रापिक एरिया में मौसम का पूर्वानुमान लगाना इक्वेटर से दूर के क्षेत्रों के मुकाबले काफी चुनौतियों से भरा हुआ होता है। साथ ही मानसून या साइक्लोन जैसी भविष्यवाणी करना काफी आसान है। हीटवेव का पूर्वानुमान स्थानीय बादल फटने की घटना के मुकाबले काफी आसान है। इसी तरह रूटीन साइकलिक इवेंट अचानक से होने वाली घटनाओं के मुकाबले आसान होते हैं।

पिछले एक दशक में मानसून के पूर्वानुमान आमतौर पर सही

मौसम पूर्वानुमान में कुछ शंकाएं भी भरी हुई हैं। पूर्वानुमान जितना पहले होगा, उतना कम सटीक होने के आसार काफी कम है। यही वजह है कि पिछले दशक में पूरे देश में चार महीने के मानसून मौसम के लिए पूर्वानुमान आम तौर पर सही रहे हैं। वहीं क्षेत्रीय और महीने में होने वाली भविष्यवाणियां कम सटीक रही हैं।

अब इसे एक उदाहरण के जरिये समझने की कोशिश करें तो आईएमडी के मुताबिक, कम से कम 24 घंटे पहले ही हीट वेव का पता लगने के 97-99 फीसदी आसार हैं। वहीं भारी बारिश होने के लिए यह संभावना 80 फीसदी से भी कम है। एक और खास बात यह है कि जो घटनाएं 50 या 100 साल में एक बार होती हैं तो उनकी भविष्यवाणी करना और भी ज्यादा मुश्किल भरा होता है।

आईएमडी के पास इस समय 12×12 किलोमीटर क्षेत्र में मौसमी दशाओं का पता लगाने की काबिलियत है। यह ग्रिड ज्यादातर भारतीय शहरों से बड़ा है। इसका मतलब यह है कि किसी शहर में बारिश के आसार का तो पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, लेकिन यह नहीं बताया जा सकता कि कहां पर बारिश होगी। आईएमडी 3×3 किमी के लिए एक्सपेरिमेंटल पूर्वानुमान की कोशिश कर रहा है। लेकिन इसका मकसद आखिर में 1 x1 किमी एरिया के लिए हाइपर लोकल पूर्वानुमान हासिल करना है। यह लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

आईएमडी में पिछले अप्रगेड ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस रहे हैं। हालांकि, अभी भी कुछ सुधार की जरूरत है। इसमें हाई रिजोल्यूशन अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट का नाम भी शामिल है। इसके अलावा, देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर हिस्सों में डॉपलर रडार को और मजबूत करने की जरूरत है। लेकिन बड़ी कामयाबी भारत बेस्ड मॉडल विकसित करने में है। यह किसी भी स्थिति की सही जानकारी देने के काबिल हो।