बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बीच विवाद कम होता नजर नहीं आ रहा है। बुधवार को आईएमए की तरफ से इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को पत्र लिखकर बाबा रामदेव की शिकायत की गयी। पत्र में कहा गया है कि रामदेव ने आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ बिना किसी कारण अपमानजनक और पूर्वाग्रहपूर्ण बयानबाजी की है।

आईएमए द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि हम चिकित्सा पेशे और चिकित्सा पेशेवरों के हित में आपसे इस संबंध में उचित कार्रवाई की मांग करते हैं।  बाबा रामदेव अपने सार्वजनिक बयानों के माध्यम से आधुनिक चिकित्सा का मजाक बना रहे हैं। बाबा रामदेव अपने सार्वजनिक बयानों में न केवल आईसीएमआर को कलंकित कर रहे हैं, बल्कि ऐसे कठिन समय में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के कार्यों और योगदान को भी कमजोर कर रहे हैं।

बाबा रामदेव ने ICMR द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल और क्रेडिट को अपूरणीय क्षति पहुंचाने का काम किया है। साथ ही उन्होंने कोविड शहीदों का अपमान भी किया है।

क्या है पूरा विवाद? दरअसल ये पूरा विवाद रामदेव के एक बयान से शुरू हुआ। 22 मई को रामदेव ने अपने एक बयान में कहा था – ‘एलोपैथी एक बकवास विज्ञान है’। इस पर IMA ने कड़ी नाराजगी जताते हुए रामदेव से तुरंत अपना बयान वापस लेने के लिए कहा। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए रामदेव से बयान वापस लेने के लिए कहा। रामदेव ने ट्विटर पर एक पत्र शेयर कर बयान वापस ले लिया।

इसके बाद रामदेव ने 25 सवालों की एक लंबी-चौड़ी लिस्ट शेयर की। इसमें उन्होंने एलोपैथी और IMA से सवाल पूछे। योग गुरु ने तो ये तक सवाल कर लिया कि हिंसक, क्रूर और हैवान को इंसान बनाने वाली एलोपैथी में कोई दवाई बताएं? इसके बाद रामदेव का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह IMA को चुनौती भी दे रहे थे। अब ये मामला और गहरा गया है। IMA ने रामदेव के खिलाफ दिल्ली के आईपी एस्टेट पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दी है। इसमें उनके खिलाफ महामारी एक्ट और राजद्रोह के तहत केस दर्ज करने की मांग की गई है।