एक मामले की सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत एक्सपर्ट बॉडीज की राय में दखल देने से बचती है। लेकिन अगर इस तरह की राय गलत हो तो कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती। अदालत ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के सवाल पर कोई अगर नरेंद्र मोदी का नाम लिखता है पर आंसर की उसे राहुल गांधी दिखाती है तो ये बेतुका नहीं लगेगा।

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दो नवंबर को दिए फैसले में हाईकोर्ट की मदुरई बेंच के जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा कि स्टेट टीचर भर्ती बोर्ड एक महिला कैंडिडेट को अतिरिक्त नंबर दे, क्योंकि उसने सवाल का सही जवाब दिया था लेकिन फिर भी उसे नंबर नहीं मिला। कोर्ट का कहना था कि इस सारे मामले में महिला की कोई गलती नहीं है। क्यूश्चन सेंटर्स ने गलत जवाब को ही सही दिखा दिया था। ये सरासर उनकी खामी है। इसके लिए महिला उम्मीदवार का नंबर काटना गलत है।

बेंच एक महिला की याचिका की सुनवाई कर रही थी। उसने इंग्लिश पोस्ट ग्रेजुएट असिस्टेंट के पद के लिए आवेदन किया था। ये परीक्षा 2021 में आयोजित कराई गई थी। महिला उम्मीदवार 1 नंबर से मेरिट लिस्ट में आने से रह गई, क्योंकि सेटर्स ने गलत जवाब को सही करार दिया था। सवाल के जवाब के तौर पर सभी कैंडिडेट्स को अमेरिकी पोएट एओलेन टेटे की लाईन को पूरा करना था। याची महिला ने जवाब के तौर पर सी विकल्प को चुना। ये सवाल का सही जवाब था। लेकिन आंसर की सही जवाब के तौर पर विकल्प ए को दिखा रही थी। बोर्ड का इस मामले में कहना था कि आंसर की को एक्सपर्ट कमेटी ने तैयार किया था।

बोर्ड का कहना था कि अदालत को इसमें दखल देने का हक नहीं है। लिहाजा याचिका को खारिज किया जाए। कोर्ट का कहना था कि सत्यमेव जयते हमारा राष्ट्रीय सिद्धांत है। इसे किसी भी सूरत में खारिज नहीं किया जा सकता। जहां भी कोई खामी दिखेगी न्यायिक दखल वहां पर देना कोई गलत काम नहीं है। अगर अदालत दखल नहीं देगी तो बेतुकी परंपरा लगातार जारी रहेगी और इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना होगा जो कसूरवार नहीं हैं।