तमिलनाडु सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय में सवाल किया कि यदि महात्मा गांधी हत्याकांड में गोडसे के भाई को रिहा किया जा सकता है तो राजीव गांधी के हत्यारों के लिये दरवाजे क्यों बंद करने चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने तर्क दिया कि काफी समय पहले इस न्यायालय से बहुत दूर नहीं, एक वयोवृद्ध व्यक्ति स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय था। कुछ लोगों ने इसके बावजूद उसकी हत्या करने का निश्चय किया और वह व्यक्ति महात्मा गांधी था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से महान कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है। इस मामले में षड़यंत्रकारी गोपाल विनायक गोडसे को 16 साल बाद रिहा कर दिया गया था। किसी ने उस पर सवाल नहीं उठाया तो फिर इन व्यक्तियों (राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषी) को क्यों नहीं।
गोडसे को इस मामले में अक्तूबर, 1964 में रिहा किया गया था जबकि एक अन्य मामले में वह फिर गिरफ्तार हुआ और अंतत: 1965 में जेल से रिहा हुआ।
द्विवेदी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या के मामले का भी हवाला दिया जिसमे आठ दोषियों में से चार को फांसी दी गयी जबकि एक दोषी की जेल में मृत्यु हो गयी और तीन अन्य को माफी दे दी गयी थी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह दु:खद है कि इन नेताओं की हत्या की गयी। मैं कह रहा हूं कि दरवाजा खुला रखा जाये। हमे दरवाजे बंद नहीं करने चाहिए और लंबा समय बीत जाने के बाद आज इन दोषियों को जेल में क्यों रखते हैं।’’
द्विवेदी ने स्पष्ट किया किया कि वह इन दोषियों के कृत्य का बचाव नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी हत्याकांड का मुख्य षड़यंत्रकारी वेलुपिल्लई प्रभाकरण था जिसे कभी भी भारत की अदालत में नहीं लाया गया। हालांकि यह अलग बात है और सभी को पता है कि बाद में उसके समूचे परिवार का खात्मा कर दिया गया और उसके नाबालिग बच्चे को भी नहीं बख्शा गया।
इन सातों दोषियों को जेल से रिहा करने की वकालत करते हुये उन्होंने कहा कि जाफना के तमिल और भारतीय तमिलों के बीच बहुत पुराने संबंध हैं।