महाराष्ट्र विलेज पंचायत एक्ट को लेकर बांबे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कट ऑफ डेट डेट के बाद पैदा हुआ बच्चा अगर नॉमिनेशन दाखिल करने की तारीख से पहले इस दुनिया से रुखसत हो चुका है तो कैंडिडेट की क्वालीफिकेशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ऐसा कैंडिडेट चुनाव मैदान में उतर सकता है। कोई उसके कैंडिडेचर पर सवाल खड़े नहीं कर सकता।
जस्टिस आर पेडनेकर ने प्रशासन के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें एक महिला को इस आधार पर डिस्क्वालीफाई किया गया था कि उसके दो से ज्यादा बच्चे हैं। प्रशासन का कहना था कि कट ऑफ डेट के बाद महिला का तीसरा बच्चा पैदा हुआ था। बांबे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बच्चा पैदा हुआ पर नामांकन की तारीख से पहले गुजर गया तो उम्मीदवारी पर कोई सवाल खड़ा नहीं होता। हाईकोर्ट का कहना था कि महिला की उम्मीदवारी को निरस्त करके प्रशासन ने गलत फैसला लिया है। उनका निर्णय वो किसी भी तरह से ठीक नहीं मान सकते हैं।
अहमदनगर प्रशासन ने निरस्त कर दी थी महिला की सदस्यता
ध्यान रहे कि सेक्शन 14(1)(j-i) कहता है कि किसी शख्स के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो वो चुनाव मैदान में नहीं उतर सकता। मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता महिला जनवरी 2021 के चुनाव में नीमगांव खालू से निर्विरोध निर्वाचित हुई थी। लेकिन गांव के ही एक शख्स ने अहमदनगर के जिलाधीश कार्यालय में उसकी शिकायत कर दी। उसके बाद प्रशासन ने महिला के चुनाव को निरस्त कर दिया। शिकायत में कहा गया था कि कट ऑफ डेट 9 सितंबर 2001 थी। महिला को जो तीसरा बच्चा हुआ वो इस तिथि के बाद पैदा हुआ था। लिहाजा वो पंचायत सदस्य होने के काबिल नहीं है।
हाईकोर्ट ने अपनी डिस्पेंसरी के डॉक्टर से ली सलाह
महिला की तरफ से पेश वकील ने कहा कि उसके तीसरे बच्चे का जन्म 12 फरवरी 2002 को हुआ था। लेकिन वो मैच्योर नहीं था और 2 अप्रैल 2002 को उसकी मौत हो गई। दूसरे पक्ष के वकील ने बच्चे की जन्मतिथि और मृत्यु को लेकर एतराज जताया। लेकिन हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बच्चे की मौत को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
हाईकोर्ट ने अपनी डिस्पेंसरी के डॉक्टर को तलब किया तो उसका कहना था कि बच्चा समय से पहले पैदा हो सकता है। ऐसा बच्चा काफी कमजोर होता है। लिहाजा उसके जीने के चांस बहुत कम होते हैं। ऐस में महिला पंचायत सदस्य की बाद को खारिज नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने प्रशासन के फैसले को निरस्त करके मामला फिर से उनके पास भेज दिया। कोर्ट का कहना था कि बच्चे के जन्म पंजीकरण के लिए दी गई दरखास्त अभी लंबित है। प्रशासन को तुरंत उस पर फैसला करना चाहिए, क्योंकि केस पर उसका सीधा असर पड़ेगा। कोर्ट ने दोनों पार्टियों को कहा कि वो इस मामले में और ज्यादा साक्ष्य जुटा सकती हैं, जिससे सच का पता चल सके।