पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायतों में लैंगिक समानता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए हर जिले में कम से कम एक आदर्श महिला हितैषी ग्राम पंचायत बनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण का कार्य सोमवार से शुरू होने जा रहा है। महिला-हितैषी पंचायत का विचार एक ऐसे समावेशी समुदाय की कल्पना करता है, जहां महिलाएं और लड़कियां न केवल सुरक्षित महसूस करती हैं, बल्कि विकास की मुख्यधारा में सक्रिय भागीदार के रूप में अपनी भूमिका निभाती हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पंचायती राज मंत्रालय ने प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश को प्रति जिला कम से कम एक ग्राम पंचायत को आदर्श महिला-हितैषी ग्राम पंचायत के रूप में विकसित करने के लिए चिह्नित करने की सिफारिश की है।
महिलाओं व लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए होगा बड़ा काम
यह पहल लैंगिक समानता हासिल करने और महिलाओं व लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए की जा रही है। ये ग्राम पंचायतें महिला-केंद्रित शासन में सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करने वाले उदाहरण के रूप में काम करेंगी। इसके अलावा ऐसी सभी ग्राम पंचायतें जहां हितैषी ग्राम पंचायतों को पहले ही अपनाया जा चुका है, उन्हें अपनी पहलों को मजबूत करने के लिए आगे और समर्थन दिया जाएगा।
ये ग्राम पंचायतें अन्य ग्राम पंचायतों के लिए मानक स्थापित करेंगी। इस कार्य के लिए बड़ी संख्या में प्रशिक्षकों की आवश्यकता होगी। इसके लिए पंचायती राज मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के सहयोग से पुणे के यशवंतराव चव्हाण अकादमी आफ डेवलपमेंट एडमिनिस्ट्रेशन (यशदा) में चार से छह नवंबर तक एक राष्ट्रीय स्तर की प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन होने जा रहा है।
इस कार्यशाला का उद्देश्य महिला-हितैषी ग्राम पंचायत पहलों का नेतृत्व करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से युक्त मास्टर प्रशिक्षकों की एक टीम तैयार करना है। ये मास्टर प्रशिक्षक राज्य और पंचायत स्तर पर प्रशिक्षकों को सशक्त बनाने और ग्राम पंचायतों को समावेशी, महिला-हितैषी माडल में बदलने में मार्गदर्शन करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
महिला-हितैषी पंचायतों की विशेषता है कि यहां महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के अवसरों तक सुगम पहुंच प्राप्त है। प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं भी सहज उपलब्ध हैं। महिला सभाओं के माध्यम से उनकी आवाज ग्राम पंचायत विकास योजना में प्रतिबिंबित होती है। पंचायत प्रतिनिधि लैंगिक कानूनों से भलीभांति परिचित हैं और लैंगिक हिंसा, बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ सक्रिय कदम उठाते हैं।