साल 1999 में हाईजैक किया गया इंडियन एयरलाइंस का विमान IC-814 की कहानी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुकी है। इस विमान के साथ अगवा किए गए यात्रियों के बदले में भारत ने तीन आतंकियों- मौलाना मसूद अजहर, अहमद ओमर सईद शेख और मुस्ताक अहमद जरगर को छोड़ा था। यह विमान जब अमृतसर में लैंड हुई तो उस समय के पंजाब के डीजीपी सरबजीत सिंह इसके टायर उड़ाना चाहते थे लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की तरफ से सख्त निर्देश थे कि किसी भी तरह के ‘खूनखराबे’ से बचा जाए।

द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में पंजाब के पूर्व डीजीपी ने कहा कि उनकी तरफ से प्लेन के टायर उड़ाने का विचार किया था था। उन्होंने ऐसा करने के लिए इंडियन एयरफोर्स के दो कर्मचारियों के साथ एक ईंधन बोजर भी भेजा था। हालांकि तब यह स्पष्ट था कि अगर ऐसा कुछ हुआ तो किडनैपर्स यात्रियों की हत्या कर देंगे। उन्होंने बताया कि उनकी तब के सीएम प्रकाश सिंह बादल से डायरेक्ट बात तो नहीं हो पाई लेकिन उनकी तरफ से भेजे गए मैसेज में कहा गया था कि ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए जिससे खूनखराबा हो।

दिसंबर 1999 में हाईजैक हुआ था IC-814

IC-814 काठमांडू से उड़ान भरने के चालीस मिनट बाद पांच आतंकियों द्वारा हाईजैक कर लिया गया था। इस विमान में 180 पैसेंजर थे। ये सभी सात दिनों तक बंधक रहे। फ्लाइट के हाइजैक किए जाने के बाद अपहरणकर्ता पहले विमान को अमृतसर लेकर गए और फिर वहां से लाहौर ले गए।

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कारगिल युद्ध की 25वीं बरसी पर एक सेमिनार में R&AW के पूर्व चीफ ए.एस. दुलत ने इंटेलिजेंस फेलियर सहित कई विषयों पर बात की। उन्होंने कहा कि दुलत ने कहा कि कैबिनेट सचिव के अंजक संकट प्रबंधन समूह (CMG) IC-814 के संबंध में एक्शन के बारे में कोई फैसला लेने में विफल रहा।

उन्होंने कहा, “आपको IC 814 याद है? मैं CMG में था। वहां कुछ नहीं हुआ। बहुत बार मुझसे फिल्म निर्माताओं द्वारा सवाल किया जाता है कि क्या हुआ था? मैं कैसे बता सकता हूं कि क्या हुआ था? लेकिन मैं आपको बताया सकता हूं कि कुछ नहीं हुआ था।”

दुलत ने कहा कि कैबिनेट सचिव के अंजक संकट प्रबंधन समूह (CMG) IC-814 के संबंध में एक्शन के बारे में कोई फैसला लेने में विफल रहा। उन्होंने बताया कि अमृतसर में प्लेन लैंडिंग के बाद पहले जरूरी तीन या चार घंटों में CMG चर्चा करती रही। होम मिनिस्टर आए, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, एनएसए आए… लेकिन कुथ भी तय नहीं हुआ और फिर हमने पंजाब के डीजीपी को जिम्मेदार ठहराया।

वो कहते हैं, “वह मेरे बैचमेट थे और मैंने बाद में सरबजीत से बात की। उन्होंने कहा कि उनके पास कमांडो हैं, लेकिन वह अपना करियर या जीवन जोखिम में नहीं डालना चाहते। वह दिल्ली से आदेश मिलने का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘मेरे मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मुझसे कहा था कि मैं अमृतसर में खून-खराबा नहीं चाहता। अगर ऐसा होना है तो होने दो।’ लेकिन दिल्ली ने कोई फैसला नहीं लिया और विमान के अमृतसर से उड़ान भरने के बाद सभी ने एक-दूसरे को दोषी ठहराया।”

सरबजीत सिंह ने क्या कहा?

द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में सरबजीत सिंह ने कहा कि दुलत ने घटना को सही तरीके से याद किया। हालांकि उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम बादल ने यह नहीं कहा था कि एयरक्रॉफ्ट को जाने देना चाहिए।

उन्होंने घटना को याद करते हुए बताया, “प्लेन हाईजैक की खबर मिलने के बाद मुझे लगा कि फ्लाइट अमृतसर में लैंड कर सकती है। इस तरह की कोई चेतावनी या सूचना नहीं थी, लेकिन मुझे एक अंदेशा था। इसलिए मैंने अमृतसर एयरपोर्ट पर कमांडो की दो कंपनियां तैनात कर दीं।”

उन्होंने बताया कि डीआईजी रेंज अमृतसर में एटीसी टावर के जरिए प्लेन के कैप्टन के साथ संपर्क में थे। कैप्टन उनसे लगातार कुछ करने के लिए कह रहे थे। सरबजीत सिंह ने कहा कि CMG ने उन्हें कोई एक्शन न लेने के लिए कहा क्योंकि इससे यात्रियों को नुकसान हो सकता था। उन्होंने बताया,”हमारे पास विमान पर धावा बोलने के लिए सीढ़ियां और अन्य उपकरण नहीं थे और मुझे बताया गया कि एनएसजी को पहुंचने में 45 मिनट लगेंगे और किसी भी एक्शन के लिए तैयार होने में दो-तीन घंटे लगेंगे।”