मध्यप्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार द्वारा कथित तौर पर परेशान करने के बाद दलित और निलंबित आइएएस अफसर शशि कर्णावत ने अध्यात्मिक उन्नति के लिए संसारिक जीवन से संन्यास लेने का निर्णय लिया है। प्रदेश सरकार से असंतुष्ट महिला आइएएस अधिकारी ने कहा कि वे संसारिक जीवन छोड़कर संन्यास लेने का फैसला कर चुकी हैं। उन्होंने कहा, व्यक्ति तब सबल होता है जब उसे सबल का साथ मिलता हैं, इसलिए उन्होंने परम सत्ता की शरण में जाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा, अपने पतन को उत्थान में बदलने, प्रतिकूल को अनुकूल, चिंता को चिंतन, और समस्या को समाधान में बदलने की कोशिश के तहत मैंने शीघ्र ही संन्यास लेकर अध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश करने का निर्णय लिया है। कर्णावत को भ्रष्टाचार के एक मामले में मंडला की जिला अदालत द्वारा दोषी करार दिया गया है तथा फिलहाल वे जमानत पर हैं। उन्होंने कहा कि गत 33 माह से निलंबन के दौरान वे आधी रोटी खाकर भी जीवन यापन कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि बाहर से सब दूर से दुख मिल रहे हैं। लेकिन अब उन्होंने अपने अंदर ही खुशी का खजाना ढंूढ़ लिया है। उन्होंने कहा कि एक आइएएस अफसर को जेल में डालने के बाद भी प्रदेश सरकार संतुष्ट नहीं हुई और उन्हें दिपावली, धनतेरस और दशहरे के दिन तक नोटिस थमाए गए। कर्णावत ने कहा, वे वर्ष 2000 से न्याय के दर-दर भटक रहीं हैं। उनके मामले में प्राकृतिक न्याय की हत्या हुई है। इसके तरह सौ दोषी छूट जाए, लेकिन एक निर्दाेष को सजा नहीं मिलनी चाहिए। कर्णावत के संन्यास लेने के खबर ऐसे वक्त आई है जब मध्यप्रदेश सरकार दो आइएएस अधिकारियों को नोटिस दे चुकी है। मध्यप्रदेश की मंडला जिले की अदालत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में वर्ष 2013 में कर्णावत को दोषी करार देकर पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी। तभी से वे निलंबित हैं। इसके बाद अपनी सजा के जिला अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए कर्णावत ने उच्च न्यायलय में अपील दायर की। उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें इस मामले में जमानत मंजूर की गई। कर्णावत वर्ष 1999 में पदोन्नत होकर आइएएस बनी थीं।
उज्जैन में हाल ही में संपन्न हुए सिंहस्थ कुंभ के दौरान अपने धार्मिक गुरु के पंडाल में कर्णावत करीब एक माह तक लोगों को प्रवचन देकर अध्यात्मिक दुनिया में पहले ही प्रवेश कर चुकी हैं। उन्होंने कहा, मेरे प्रवचन सुनकर लोग काफी प्रभावित हुए और मुझसे कहा कि मैं यह प्रवचन आध्यात्मिक चैनलों पर प्रसारित करूं। इससे पूर्व जनवरी माह में कर्णावत एक अन्य दलित आइएएस अधिकारी रमेश थेटे के साथ यहां एक धरने में शामिल हुई थीं और प्रदेश सरकार पर दलित और आदिवासी अधिकारियों के प्रति भेदभाव बरतने का आरोप लगाया।
हाल ही में प्रदेश सरकार ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में वापसी के लिए फेसबुक पर बधाई देने वाली भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी और नरसिंहपुर जिले की कलेक्टर सिबी चक्रवर्ती को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसके अलावा एक अन्य आइएएस अफसर अजय सिंह गंगवार (55) को भी राज्य सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। गंगवार ने फेसबुक पर जवाहरलाल नेहरू की तारीफ की थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘जनआंदोलन’ चलाने का कथित तौर पर समर्थन किया था। गंगवार को बाद में सरकार ने बड़वानी के जिला कलेक्टर पद से भी हटा दिया था और उनकी पदस्थापना गत 26 मई को मंत्रालय में उप सचिव पद पर की थी।
