पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना की तरफ से 26 फरवरी को की गई एयर स्ट्राइक में तयशुदा छह में से पांच हथियारों ने जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कॉम्प्लेक्स में तय लक्ष्य को सटीकता से भेद दिया। वायुसेना की तरफ से की गई एयर स्ट्राइक की समीक्षा में यह बात सामने आई है। मामले से जुड़े दो सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा की समीक्षा का मकसद एयर ऑपरेशन से सीखना और अपनी ताकतों-कमजोरियों को पहचानना था।
समीक्षा में बेहतर लक्ष्य को भेदने के लिए बेहतर हथियारों के इस्तेमाल का जिक्र करते हुए कहा गया कि ऑपरेशन की गोपनीयता, सुरक्षा, पायलटों की दक्षता और इस्तेमाल हथियारों की दक्षता का अच्छा ध्यान रखा गया। सूत्रों के मुताबिक ऑपरेशन में लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए छह इजरायली स्पाइस 2000 पैनीट्रेटर टाइप पीजीएम (प्रिसिशन-गाइडेड म्युनिशन) के इस्तेमाल की योजना बनाई गई थी। इनमें से पांच ने तयशुदा ‘मीन पॉइंट ऑफ इंपैक्ट’ (लक्ष्य) को भेद दिया।
सूत्रों के मुताबिक एक पीजीएम मिराज एयरक्राफ्ट को नहीं छोड़ा क्योंकि 35 साल पुराने एयरक्राफ्ट के नेविगेशन सिस्टम में थोड़ी समस्या थी। इसका मतलब यह है कि डिलिवरी के समय पीजीएम और एयरक्राफ्ट से दिख रही लोकेशन अलग-अलग थी। इसकी वजह से एयरक्राफ्ट से पीजीएम लॉन्च ही नहीं हो पाई। भारतीय वायुसेना लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए स्पाइस 2000 के साथ अपने साथ क्रिस्टल मेज एजीएम 142 भी ले गई थी। हालांकि बादलों के चलते दृश्यता प्रभावित होने की वजह से इसे लॉन्च नहीं किया जा सका, क्योंकि पायलट को लक्ष्य ठीक से नहीं दिख पा रहा था।
National Hindi News, 25 April 2019 LIVE Updates: दिनभर की अहम खबरों के लिए क्लिक करें
अपने बैकवर्ड डाटा लिंकेज की मदद से क्रिस्टल मेज से लक्ष्य की वीडियो-इमेज मिल रही थी, इससे भारतीय वायुसेना को इंटरनेशनल मीडिया में एयर स्ट्राइक के प्रभाव पर उठे सवालों का जवाब देने में मदद मिली। सूत्रों के मुताबिक, ‘भारतीय वायुसेना अपने मकसद में कामयाब रही। लेकिन हमें एक और ऐसे प्लेटफॉर्म को तैयार रखना था जो हमें नुकसान की साफ तस्वीरें और वीडियो उपलब्ध करा सके।’
भारतीय वायुसेना के पास अपने बेड़े में स्पाइस 2000 पैनीट्रेटर टाइप पीजीएम है स्पाइस 2000 मार्क 84 नहीं जिसे काफी दूर से भी लॉन्च किया जा सकता है। ऑपरेशन के लिए तय नियमों में नियंत्रण रेखा पार नहीं करना भी शामिल था। फिर भी क्रिस्टल मेज से हमला करने की कोशिश कर रहे कुछ मिराज 2000 एयरक्राफ्ट्स ने नियंत्रण रेखा को पार किया था ताकि लक्ष्य को बेहतर तरीके से देखा जा सके।
समीक्षा में इस बात को प्रमुखता से दिखाया गया लक्ष्य के चयन, गोपनीयता, ऑपरेशन के साधनों और उनके इस्तेमाल तक भारतीय वायुसेना ने सबकुछ अच्छे तरीके से किया। यह भी तब हुआ जब पाकिस्तानी वायुसेना पूरी तरह से एयर डिफेंस अलर्ट मोड में थी। जिस जगह का चयन किया गया था वहां से पाकिस्तान एयरफोर्स का सबसे नजदीकी एयरक्राफ्ट 150 किमी दूर बहावलपुर में था।
भारतीय वायुसेना ने इस ऑपरेशन की सुरक्षा को उच्चतम स्तर की बताते हुए कहा कि छह हजार से ज्यादा लोगों के शामिल होने के बावजूद ऑपरेशन की कोई बात लीक नहीं हुई। हालांकि बालाकोट स्थित वास्तविक लक्ष्य के बारे में 10 से भी कम लोगों को जानकारी थी। समीक्षा में यह भी बताया गया कि हथियारों की सटीकता भी काफी अच्छी थी। स्पाइस 2000 पीजीएम में तीन मीटर तक की चूक होने की आशंका रहती है। लेकिन कई सारी पीजीएम एक साथ लक्ष्य को निशाना बना रही थी, इससे भारतीय वायुसेना को स्पाइस 2000 पीजीएम पर ज्यादा भरोसा हो गया।
समीक्षा के मुताबिक कमांडिंग अफसरों और पायलट की दक्षता भी सर्वोच्च स्तर की थी। बता दें कि ऑपरेशन में शामिल पांच पायलटों के नाम की शौर्य सम्मान के लिए सिफारिश की गई है।