Supreme Court: सीजेआई बीआर गवई ने गुरुवार को बड़ी बात कही। गवई ने कहा कि नवंबर में रिटायर होने तक उन्हें उपयुक्त घर नहीं मिल पाएगा, लेकिन वे नियमों के तहत निर्धारित समयावधि के भीतर अपना आधिकारिक आवास खाली कर देंगे।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बीआर गवई की यह टिप्पणी पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ पर कटाक्ष प्रतीत होती है। जो 8 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त हो रहे थे, लेकिन उन्होंने कुछ दिन पहले ही अपना आधिकारिक आवास खाली किया था।
गवई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट प्रशासन द्वारा 1 जुलाई को केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखा था। जिसमें कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगले को तत्काल वापस लेने की मांग के बाद विवाद उत्पन्न हो गया था।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने बाद में खुलासा किया था कि उन्होंने आधिकारिक आवास पर अपने प्रवास को बढ़ा दिया था, क्योंकि उन्हें वैकल्पिक आवास व्यवस्था खोजने में कठिनाई हो रही थी, जो उनकी दो बेटियों की विशेष आवश्यकताओं को पूरा कर सके, जो एक दुर्लभ चिकित्सा स्थिति से ग्रस्त हैं।
गुरुवार को सीजेआई ने जस्टिस सुधांशु धूलिया को विदाई देने के लिए आयोजित एक समारोह में दिए गए भाषण में यह टिप्पणी की कि वे समय पर अपने सरकारी आवास खाली कर देंगे।
सीजेआई गवई ने कहा कि मैं जस्टिस धूलिया को तब से जानता हूं जब वे सुप्रीम कोर्ट आए थे। मैं उन्हें पहले नहीं जानता था। वे बहुत ही मिलनसार व्यक्ति हैं और उन्होंने अपना करियर न्यायपालिका को समर्पित कर दिया है। हम न्यायपालिका में उनके योगदान को हमेशा याद रखेंगे। सेवानिवृत्ति के बाद, वे उन न्यायाधीशों में से एक होंगे जो सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद अपना आवास खाली कर देंगे।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि वास्तव में यह दुर्लभ है, और मैं ऐसा करने की स्थिति में हूं, क्योंकि 24 नवंबर तक मुझे उपयुक्त घर ढूंढने का समय नहीं मिलेगा। लेकिन मैं आपको आश्वासन देता हूं कि नियमों के अनुसार जो भी समय मिलेगा, मैं उससे पहले ही आवास खाली कर दूंगा।
जस्टिस धूलिया, जो 9 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके लिए विदाई समारोह का आयोजन सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) द्वारा किया गया था। इस कार्यक्रम में बोलते हुए सीजेआई गवई ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद वह जस्टिस धूलिया से अक्सर मिलते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि हम पिछले दिनों इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि हालांकि वह मेरे घर से केवल दो घर की दूरी पर रहते हैं, फिर भी हम कई मौकों पर बातचीत नहीं कर पाते। हमारा पेशा ही ऐसा है। हमने तय किया है कि 24 नवंबर के बाद मैं गोल्फ भी खेलूंगा और हम अक्सर मिलेंगे। मैं उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
‘कानून के दायरे में रहना होगा’, सुप्रीम कोर्ट ने ED को लगाई फटकार
जस्टिस धूलिया ने कार्यक्रम में कहा कि जो कुछ भी मनुष्य के लाभ के लिए है, वही मेरा न्यायिक दर्शन है। उन्होंने कहा कि यदि मेरा कोई न्यायिक दर्शन है, तो मैं केवल यही कह सकता हूं कि मेरा न्यायिक दर्शन मानव के इर्द-गिर्द है। जो कुछ भी मानव के लाभ के लिए है, वह मेरा न्यायिक दर्शन है।
धूलिया ने कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मुद्दे पर अपने फैसले के बारे में भी बात की, जब 2022 में उन्होंने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता से असहमति जताई थी और शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर सरकार के प्रतिबंध को रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा कि दो या तीन वक्ताओं ने हिजाब के बारे में बात की है। मैं हिजाब का बचाव नहीं कर रहा था। मैं महिलाओं के हिजाब पहनने के विकल्प का बचाव कर रहा था। यही अंतर था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि वो दिन दूर नहीं जब पूरा हिमाचल गायब हो जाएगा। पढ़ें…पूरी खबर।