आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देशभर में चर्चा हो रही हैं। अब भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने आवारा कुत्तों के टीकाकरण और नसबंदी से संबंधित एक याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की है।

द इंंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) नाम के संगठन द्वारा साल 2024 में दायर याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के अगस्त 2023 के आदेश को चुनौती दी गई थी। तब इसी संगठन ने अपनी एक PIL में आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए निर्देश मांगे थे।

हाईकोर्ट द्वारा इस PIL को बिना कोई दिशानिर्देश दिए निपटाने के बाद यह संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को 8 जुलाई, 2024 को नोटिस जारी किया। बुधवार को अपीलकर्ता संगठन के वकील ने सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच को बताया कि 13 मई, 2025 के आदेश के अनुसार ऐसा करने का अंतिम मौका दिए जाने के बावजूद प्रतिवादियों ने अभी तक अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है।

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि एक अन्य बेंच आवारा कुत्तों के संबंध में एक आदेश पहले ही पारित कर चुकी है।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने सोमवार को कहा था कि कुत्तों के काटने की घटनाओं ने “बेहद गंभीर” स्थिति पैदा कर दी है और उसने NCR में सभी आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से ‘जल्द से जल्द’ ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। 

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सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर क्या आदेश दिया?

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि कुत्तों के लिए आश्रय स्थलों की संख्या समय के साथ बढ़ानी होगी। कोर्ट ने दिल्ली के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे छह से आठ सप्ताह के भीतर लगभग 5,000 कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाएं। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह चेतावनी भी दी थी कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को उठाने के काम में बाधा डालेगा तो उसके खिलाफ अदालत अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगी।

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