Bokaro Steel Plant Job Protest: बोकारो स्टील सिटी में शुक्रवार को स्थायी नौकरियों की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। इस विरोध प्रदर्शन में राज्य की तरफ से की गई कार्रवाई में बीटेक के प्रेम प्रसाद महतो की जान चली गई थी। प्रसाद महतो की पिछले साल ही सगाई हुई थी और उनके परिवार के दिमाग में इसकी यादें अभी भी ताजा हैं। प्रेम भी 100 से ज्यादा प्रदर्शन करने वाले लोगों की भीड़ का हिस्सा थे। वह उन युवाओं के लिए नौकरियों की मांग कर रहे थे जिनके परिवार स्टील प्लांट के कारण विस्थापित हो गए थे। सीआईएसएफ की तरफ से किए गए लाठीचार्ज में उनके सिर पर कथित तौर पर चोट लगी थी।
वीरू महतो ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मेरे बेटे की मौत के लिए जिम्मेदार सीआईएसएफ कर्मियों और अधिकारियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। मैंने अपने बेटे को लंबे समय से चली आ रही लड़ाई में खो दिया है।’ इस विरोध प्रदर्शन में कथित तौर पर 15 लोग घायल हो गए थे। इनमें से एक ही हालत काफी गंभीर है।
विरोध-प्रदर्शन ने लिया हिंसक रूप
वीएएस के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शन में इसका मकसद उन परिवारों को लिए नौकरी की मांग करना था, जो 1960 के दशक में बोकारो स्टीलकी पहली स्थापना के वक्त पलायन कर गए थे। इस विरोध-प्रदर्शन ने शुक्रवार को हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने मेन गेट के पास बैरिकेड्स तोड़ दिए। इसके बाद कथित तौर पर सीआईएसएफ को लाठीचार्ज करना पड़ा। इसमें प्रेम की मौत हो गई और एक अन्य घायल प्रदर्शनकारी फिलहाल बोकारो जनरल अस्पताल के आईसीयू में है।
परिवार के लोगों को टिकट देने में आगे है BJP
सीआईएसएफ की तरफ से की गई कथित कार्रवाई की वजह से विरोध-प्रदर्शन और भी तेज हो गए। शहर भर में 24 घंटे का बंद घोषित कर दिया गया। इसके बाद प्रशासन को बीएनएस की धारा 163 लगानी पड़ी। प्रदर्शनकारी हॉस्पिटल में इकट्ठा हो गए। बोकारो के डिप्टी कमिश्नर विजया जाधव ने कहा कि इस मामले के लिए तीन सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया है और बीएसएल के जनरल चीफ मैनेजर हर मोहन झा को अरेस्ट करने का आदेश दिया गया है। सीआईएसएफ ने इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।
आखिर क्या है पूरा मामला?
अब पूरे मामले पर गौर करें तो स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के तहत बोकारो स्टील प्लांट की स्थापना साल 1965 में सोवियत संघ के सहयोग से की गई थी। यह करीब साल 1972 से चलना शुरू हुई। वीएएस के सदस्य सहदेव साओ के मुताबिक, 1967-68 में जब प्लांट के लिए 34,000 एकड़ जमीन ली गई थी तो सरकार ने 20,000 युवाओं को रोजगार के अवसर देने का वादा किया था। साओ ने दावा किया कि दशकों तक वादे पूरे न होने के बाद 2016 में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए। इसकी वजह से सरकार ने 4,328 विस्थापित युवाओं को नौकरी देने का वादा किया।
एक प्रदर्शनकारी ने दावा किया कि 2016 से 2022 के बीच केवल 1,500 लोगों को अप्रेंटिसशिप दी गई। समय के साथ इसमें कमी भी आती चली गई थी क्योंकि ज्यादातर लोग बूढ़ें हो गए थे। प्रेम के परिवार के मुताबिक, प्रेम बेंगलुरु में पढ़ाई कर चुका है और GATE की तैयारी कर रहा था। वह तीन अप्रैल को प्लांट में नौकरी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुआ था।
परिवार ने कहा कि जब विरोध प्रदर्शन तेज हुआ तो सीआईएसएफ ने कथित तौर पर लाठीचार्ज कर दिया। प्रेम के सिर पर गोली लगने से वह मौके पर ही गिर पड़ा और स्थानीय अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मृतक के दोस्त और घायल प्रदर्शनकारियों में से एक शंभूनाथ महतो ने कहा, ‘मुझे घसीटा गया और पीटा गया। वह फिलहाल बोकारो जनरल अस्पताल में भर्ती हैं। मेरी पीठ पर 100 से ज्यादा लाठियां बरसाई गईं। अपने सिर को बचाने की कोशिश में मेरी दो उंगलियां घायल हो गईं।’
प्रेम के परिवार ने जिला प्रशासन से मुलाकात की
प्रेम के परिवार ने शनिवार शाम को जिला प्रशासन से मुलाकात की और अपनी मांगों पर चर्चा की। इसमें महतो परिवार के एक सदस्य को स्थायी नौकरी देने की मांग भी शामिल थी। इस बैठक में बीजेपी के धनबाद सांसद दुलु महतो भी शामिल हुए। अस्पताल के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए सांसद ने कहा कि प्रशासन ने परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की पेशकश की है व सभी 1,500 विस्थापित युवाओं को रोजगार देने का वादा किया है। इसमें हर महीने की 50 नियुक्तियां शामिल हैं।
हालांकि, बोकारो की डिप्टी कमिश्नर विजया जाधव ने कहा कि प्रस्तावित नौकरी स्थायी नहीं हो सकती क्योंकि महतो नियमित कर्मचारी नहीं थे। जाधव ने कहा, “ये ऐसे मुद्दे नहीं हैं जिन्हें जिला स्तर पर सुलझाया जा सके। इस मामले में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों का हस्तक्षेप शामिल है।”
