Supreme Court Justice Abhay S Oka: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका ने शनिवार को निष्पक्ष सुनवाई के मामले पर बोलते हुए कहा कि मुझे इस बात पर गर्व है कि हमारे देश ने मुंबई हमले के आतंकवादी अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया। उन्होंने कहा कि कई पीड़ितों को अपनी शिकायतें दर्ज कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस ओका ने कहा, ‘मुझे गर्व है कि हमारे देश ने अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया। कई पीड़ितों को अपनी शिकायत को दर्ज कराने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।’ उन्होंने कहा, ‘कल्पना कीजिए कि एक आम आदमी पुलिस स्टेशन जाता है। लेकिन उसे अपराध दर्ज करवाने में बहुत मुश्किल होती है।’ जस्टिस ओका ने कहा कि हताशा के कारण लोग न्यायिक उपायों को खोजते हैं। इसकी वजह से कोर्ट पर बोझ और बढ़ जाता है।

जमानत देने के मुद्दे पर क्या बोले जस्टिस ओका

जमानत देने के मुद्दे पर बात करते हुए जस्टिस ओका ने कहा, ’25 साल पहले, मुझे नहीं पता कि सुप्रीम कोर्ट ने कभी कहा कि जमानत देने के लिए कोई कारण क्यों नहीं दिया गया। बेशक, नए कानून आ गए हैं और अदालतों को कारण दर्ज करने की जरूरत है और इसका नतीजा यह है कि हम जजों को आलोचना का सामना करना पड़ता है। वे कहते हैं कि लोगों को योग्य मामलों में जमानत नहीं मिल रही है। निजी तौर पर मैं इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि इस आरोप में सच्चाई का एक तत्व है।’

सरकारी खैरात के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सख्त

जस्सिट ओका मुंबई में बॉम्बे बार एसोसिएशन द्वारा पूर्व अटॉर्नी जनरल की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में बात कर रहे थे। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस ओका ने साफ किया कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है के सिद्धांत को सख्ती से अमल में लाना चाहिए। ओका ने कहा, ‘निर्दोषता की धारणा, जमानत नियम है, जेल अपवाद है, यह बात पीएमएलए, यूएपीए पर भी लागू होनी चाहिए।’

सोशल मीडिया पर बढ़ते मीडिया ट्रायल पर बात की

जस्टिस अभय एस ओका ने सोशल मीडिया पर बढ़ते ट्रायल के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा सार्वजनिक मंचों पर कहा है कि भारत के हर एक नागरिक को सभी अदालतों के फैसलों की आलोचना करने का अधिकार है, लेकिन यह आलोचना रचनात्मक होनी चाहिए। जो लोग फैसले की आलोचना करना चाहते हैं, उन्हें बताना चाहिए कि अदालतें कहां गलत हुईं, लेकिन यह मीडिया ट्रायल या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्रायल कुछ अलग है।’ सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त की रेवड़ियों पर जताई नाराजगी पढ़ें खबर…