जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की पूर्व छात्रा, जम्मू एंड कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (JKPM) की नेता और सामाजिक कार्यकर्ता शेहला रशीद ने सात महीने में ही चुनावी राजनीति से तौबा कर ली है। मुख्यधारा की राजनीति छोड़ने के बाद उन्होंने कहा है कि वह कश्मीरियों का उत्पीड़न और बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं। बता दें कि उन्होंने इसी साल मार्च में पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैजल की पार्टी JKPM ज्वॉइन की थी।

रशीद ने इस कदम के पीछे ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव के ऐलान को जिम्मेदार बताया। कहा कि केंद्र सरकार इन चुनावों के जरिए दुनिया को यह दिखाना चाहती है कि कश्मीर में सब कुछ सामान्य है और इसी वजह से अपने लोगों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं।

Facebook पोस्ट में रशीद ने बताया कि केंद्र सरकार दशकों से ऐसा लोगों को मुख्यधारा से बाहर फेंकने के लिए कर रही है। बकौल पूर्व JNU छात्रा, “अगर मुख्यधारा में रहने का मतलब अपने लोगों के हितों से समझौता करना है, तब मैं इस प्रकार की मुख्यधारा का हिस्सा नहीं रह सकती हूं।”

उन्होंने आगे कहा- मैं कश्मीर में मुख्यधारा की चुनावी राजनीति से खुद के अलग होने के बारे में साफ करना चाहती हूं। मैं अपने लोगों के साथ एकजुट हो खड़ी हूं, जिन्हें ज्यादातर मूल सुविधाओं और अधिकारों को लेकर जूझना पड़ रहा है।

बकौल शेहला, “मोदी सरकार दुनिया को यह बताना और दिखाना चाहती है कि अभी भी यहां लोकतंत्र है। यहां लोकतंत्र नहीं, बल्कि लोकतंत्र की हत्या हो रही है। यह कटपुतलियों वाले नेताओं को तैयार करने की योजना (BDC चुनाव) भर है।”

मोदी सरकार पर भड़कते हुए उन्होंने आगे यह भी कहा कि कश्मीरी राजनेताओं को क्षेत्र को राज्य का दर्जा बहाल कराने की बात के मुद्दे पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उन्हें अनुच्छेद 370 के मसले पर कुछ भी बोलने नहीं दिया जा रहा है।