गृह मंत्री और सीनियर BJP नेता अमित शाह ने साफ किया है कि वह राजनीति जगत के चाणक्य नहीं हैं। चाणक्य के आगे उनका कद कुछ भी नहीं है। वह बहुत छोटे आदमी हैं। पंगु हैं। गृह मंत्री ने इसी के साथ विनती की कि आगे से उनकी तुलना चाणक्य के साथ नहीं की जाए।
गुरुवार को Times Now Summit के दौरान पत्रकार नविका कुमार ने उनसे पूछा था- महाराष्ट्र में जो हुआ…शरद पवार ने जैसे वहां गठबंधन बनाया। शिवसेना वहां बीजेपी से टूट कर अलग हो गई। उनके साथ चली गई। बहुत लेख आए और बात चली कि आपको राजनीति का चाणक्य माना जाता था, जबकि असल में चाणक्य तो शरद पवार निकले। इन चीजों को कैसे देखते हैं?
गृह मंत्री ने जवाब दिया- तत्कालीन चीजों के आधार पर नाम बनते हैं। मिटते हैं। और भी बनेंगे। इतिहास इंसान के मरने के 50 साल बाद लिखा जाता है कि उसका देश के लिए क्या योगदान क्या था। इतिहास सबका योगदान लिखेगा, पर हिस्ट्री के पन्नों पर मेरा नाम नहीं आने वाला है। इतना मेरा योगदान नहीं है। पवार जी पुराने नेता हैं…उन्होंने ढेर सारी सरकारें तोड़ी हैं-फोड़ी हैं। बनाई हैं। और, ऐसी ढेरों चीजें उन्होंने की हैं।
आगे ये पूछे जाने पर…तो आप पवार जी को अपना टैग (राजनीतिक चाणक्य) उन्हें सौप रहे हैं? शाह ने जवाब दिया- मैंने कभी दावा नहीं किया कि मैं चाणक्य हूं। और, न ही मैं कभी वैसा बन सकता हूं, क्योंकि मैंने जीवन में अच्छे से चाणक्य को पढ़ा है समझा है। मेरे कमरे में उनकी तस्वीर है। उनकी ऊंचाई मैं जानता हूं। अमित शाह बेचारा उनके आगे पंगु है। बहुत छोटा आदमी है। ऐसे में मेरी गुजारिश है कि भगवान कौटिल्य से मेरी तुलना मत करें।
#TimesNowSummit | Sharad Pawar is a seasoned politician: Union Home Minister @AmitShah tells Navika Kumar at TIMES NOW SUMMIT 2020. pic.twitter.com/67gfJ4cgBZ
— TIMES NOW (@TimesNow) February 13, 2020
क्यों कहा जाता है शाह को राजनीति का चाणक्य?: शाह के BJP चीफ रहते पार्टी ने कमाल का दौर देखा है। कुछ ही वक्त पहले उनकी अध्यक्षता में देश के कुल 18 प्रदेशों में भगवा पार्टी की सरकार थी। करीब 70% आबादी पर शासन था। उन्हें इसके अलावा पार्टी का सबसे सफल चीफ भी माना जाता है।
शाह जोड़-तोड़ में भी पुराने खिलाड़ी रहे हैं। इस बात की नजीर बिहार में तब देखने को मिली थी, जब JDU के नीतीश कुमार और RJD के लालू के ‘घनिष्ठ’ गठबंधन को तोड़ उन्होंने भगवा पार्टी के सपोर्ट वाली सरकार बनवा ली थी।
2014 के आम चुनावों में भी बीजेपी की शानदार जीत के पीछे मोदी का नाम और शाह का काम था। कहा जाता है कि इस जीत के लिए उन्होंने 2012 से ही जमीन तैयार करना शुरू कर दी थी।