राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने रविवार (28 मई) को कहा कि वह नए संसद भवन के उद्घाटन को देखकर खुश नहीं हैं। यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने के बाद आया है।
शरद पवार ने कहा, “मैंने सुबह कार्यक्रम देखा। मुझे खुशी है कि मैं वहां नहीं गया। वहां जो कुछ भी हुआ उसे देखकर मैं चिंतित हूं। क्या हम देश को पीछे की ओर ले जा रहे हैं? क्या यह कार्यक्रम केवल सीमित लोगों के लिए था?” उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ वह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की समाज की अवधारणा के ठीक उलट है।
‘जवाहर लाल नेहरू की अवधारणा के एकदम उलट’
शरद पवार ने कहा, “वहां जो हो रहा है वह पं. नेहरू की आधुनिक विज्ञान पर आधारित समाज बनाने की अवधारणा के बिल्कुल विपरीत है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को आमंत्रित करना सरकार की जिम्मेदारी है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला तो मौजूद थे, लेकिन राज्यसभा के मुखिया उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ वहां नहीं थे. इसलिए पूरा कार्यक्रम ऐसा लगता है जैसे यह सीमित लोगों के लिए था…’
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक शरद पवार ने आगे कहा कि पुरानी संसद के साथ लोगों का विशेष संबंध है और विपक्ष के साथ नई संसद के बारे में कुछ भी चर्चा नहीं हुई। उन्होने कहा, “हमारा पुरानी संसद के साथ एक विशेष संबंध है और न केवल इसका सदस्य होने के नाते … हमारे साथ इस नई इमारत के बारे में कुछ भी चर्चा नहीं की गई … बेहतर होता अगर हर कोई इसमें शामिल होता”।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की नेता सुप्रिया सुले ने भी उद्घाटन को “अधूरा आयोजन” करार दिया। उन्होने कहा, “विपक्ष के बिना एक नया संसद भवन खोलना इसे एक अधूरा आयोजन बनाता है। इसका मतलब है कि देश में कोई लोकतंत्र नहीं है।”