सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया 10 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले अपनी फेयरवेल स्पीच में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को हिंदुस्तान बताया। जस्टिस धूलिया ने कहा, ‘हिंदुस्तान से मेरा मतलब सुप्रीम कोर्ट बार से है। यह शायद एकमात्र ऐसा न्यायालय है जहां देश के सभी कोनों, सभी राज्यों और देश के सभी हिस्सों से मुकदमे आते हैं।’

रिटायर होने वाले जस्टिस धूलिया को औपचारिक पीठ के समक्ष हुई कार्यवाही के दौरान गर्मजोशी और भावुक विदाई दी गई। इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया भी शामिल थे। आज सुबह का एक किस्सा याद करते हुए जस्टिस धूलिया ने कहा, “हम नाश्ता कर रहे थे, मेरी पत्नी ने मुझसे पूछा, ‘अब जब आप पद छोड़ रहे हैं, तो आपको सबसे ज्यादा किस चीज की याद आएगी?’ मैंने तुरंत उनसे कहा, मुझे सबसे ज्यादा किसी चीज की याद आएगी, वो है मेरा हिंदुस्तान।”

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अब मेरे सामने यह हिंदुस्तान नहीं होगा- जस्टिस धूलिया

जस्टिस धूलिया ने आगे कहा, ‘वह मेरी बात समझ नहीं पाईं। शायद उन्होंने सोचा होगा कि मैं तो पागल हो ही रहा हूं। तो फिर हिंदुस्तान क्या है और किसी के लिए भी हिंदुस्तान को समझना मुश्किल था, मेरा मतलब है, हिंदुस्तान आप (सुप्रीम कोर्ट बार) हैं। शायद यही इकलौती अदालत है जहां देश भर से मुकदमे आते हैं। देश के हर कोने से वकील यहां आते हैं और यही बात मुझे सबसे ज्यादा खलेगी कि अब हर सुबह मेरे सामने यह हिंदुस्तान नहीं होगा।”

कौन हैं जस्टिस सुंधाशु धूलिया?

जस्टिस धूलिया का जन्म 10 अगस्त 1960 को हुआ था। वह एक ऐसे परिवार से आते हैं जो सार्वजनिक सेवा में गहराई से जुड़ा हुआ है। उनके पिता इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे और उनके दादा एक स्वतंत्रता सेनानी थे। जस्टिस धूलिया ने देहरादून, इलाहाबाद और लखनऊ में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद साल 1981 में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और 1986 में मास्टर डिग्री इन मॉडर्न हिस्ट्री पूरी करने के बाद एलएलबी की डिग्री ली। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपनी वकालत शुरू की और जनवरी 2021 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति से पहले वह उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे। उन्हें 9 मई 2022 को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था। इलाहाबाद HC के जज को क्रिमिनल केस से हटाने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने लिया वापस