पश्चिम बंगाल में टीएमसी के निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर को लेकर हंगामा मचा हुआ है। हुमायूं कबीर ने शनिवार को बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की नींव रख दी है। इस मौके पर 2 लाख से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने अपने हाथों में ईंट ली हुई थी।
इस मामले में विवाद बढ़ते ही टीएमसी ने हुमायूं कबीर को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इस मामले में टीएमसी और बीजेपी के नेताओं की ओर से लगातार बयानबाजी हो रही है।
हुमायूं कबीर बीजेपी के एजेंट- टीएमसी
टीएमसी का कहना है कि हुमायूं कबीर बीजेपी के एजेंट हैं जबकि बीजेपी का कहना है कि टीएमसी के भीतर ही लड़ाई चल रही है। आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि हुमायूं कबीर एक वक्त में बीजेपी में ही थे और वह 2019 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं।
‘जब तक दुनिया रहेगी तब तक बाबरी मस्जिद की शहादत का जिक्र करते रहेंगे…’
कांग्रेस से शुरू किया हुमायूं ने राजनीतिक करियर
हुमायूं कबीर ने अपना राजनीतिक जीवन कांग्रेस से शुरू किया और इसी पार्टी में रहकर वह विधायक बने। इसके बाद वह टीएमसी में आए और ममता बनर्जी ने उन्हें अपनी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया लेकिन 3 साल के भीतर ही उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
2018 में हुमायूं कबीर बीजेपी में शामिल हो गए। हुमायूं कबीर की लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मुर्शिदाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया था।
टीएमसी में लौटे हुमायूं कबीर
हुमायूं कबीर ज्यादा दिन तक बीजेपी में नहीं रहे और 2021 में वह टीएमसी में लौट आए और फिर भरतपुर की सीट से विधायक बने। इस बार उनकी बयानबाजियों को लेकर विवाद हुआ और पार्टी ने उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया।
हुमायूं कबीर का विवादों से पुराना नाता रहा है। नवंबर, 2024 में हुमायूं कबीर को टीएमसी में रहते हुए नोटिस जारी किया गया था क्योंकि उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को पश्चिम बंगाल की सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी।
बड़ी संख्या में जुटे लोग
हुमायूं कबीर के बाबरी मस्जिद के शिलान्यास कार्यक्रम में मुर्शिदाबाद के साथ ही आस-पास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। इसमें सऊदी अरब से आए धार्मिक नेता भी शामिल हुए। हुमायूं कबीर ने कहा है कि 3 साल में इस मस्जिद को बना कर तैयार कर दिया जाएगा। कहा जा रहा है कि हुमायूं कबीर विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी बनाकर कई सीटों पर उम्मीदवार उतार सकते हैं।
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