अयोध्या में 22 जनवरी का राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले कर्नाटक में बवाल मच गया है। दरअसल 31 साल पुराने एक मामले में पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार किया है। यह मामला बाबरी विध्वंस के बाद हुए दंगों को लेकर था। इस मामले में एक कारसेवक की गिरफ्तारी की गई है। अब इसे लेकर बीजेपी ने मोर्चा खोल दिया है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि कुछ लोगों की आंखों में राम मंदिर खटक रहा है। इस गिरफ्तारी को लेकर बीजेपी पूरे कर्नाटक में प्रदर्शन करेगी।

क्या है पूरा मामला?

1992 में बाबरी विध्वंस को लेकर पूरे देश में प्रदर्शन हुए थे। कर्नाटक के हुबली में भी इसे लेकर प्रदर्शन हुए थे। इसमें हुबली में एक अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति की दुकान जला दिया गया था। इस मामले में 50 साल के कारसेवक श्रीकांत पुजारी को आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने इस मामले में 31 साल बाद श्रीकांत को गिरफ्तार किया है। बीजेपी का कहना है कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले जान बूझकर गिरफ्तारी की गई है। बीजेपी का कहना है कि SDPI और PFI के खिलाफ सरकार कार्रवाई नहीं कर है लेकिन कारसेवकों को निशाना बनाया जा रहा है।

क्या बोले सीएम सिद्धारमैया

इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि है कि अगर किसी ने गलती है तो उसमें सरकार क्या करे। किसी अपराधी को ऐसे खुला नहीं छोड़ा जा सकता है। सब कानून के मुताबिक किया जा रहा है। किसी भी निर्दोष की गिरफ्तारी नहीं की है। यह नफरत की राजनीति नहीं है। दूसरी तरफ कर्नाटक बीजेपी के चीफ बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि श्रीकांत पुजारी को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। जब देशभर में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी की जा रही है ऐसे समय में सरकार एक हुंदू भक्त को गिरफ्तार कर रही है।

इस मामले में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि जब लोग किसी बात से सहमत नहीं होते हैं, तो वे पुराने मामले खोलने लगते हैं। अब वे (कर्नाटक सरकार) पुराने मामले खोल रहे हैं और लोगों को गिरफ्तार कर रहे हैं। उस व्यक्ति को नफरत के कारण गिरफ्तार किया गया है। हम इस मामले में कानूनी, राजनीतिक और सामाजिक सलाह ले रहे हैं।