अपूर्व विश्वनाथ
अयोध्या रामजन्म भूमि मामले सुनवाई पूरी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित मध्यस्थता समिति कुछ पक्षों के बीच हुए समझौते को लेकर अदालत में रिपोर्ट दाखिल की है। मामले में प्रमुख पक्ष होने के कारण किसी भी तरह का समझौते में सुन्नी वक्फ बोर्ड की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
बोर्ड वक्फ संपत्ति के एडमिनिस्ट्रेशन के रूप में कानूनी वैधता रखता है। वक्फ से आशय ऐसी संपत्ति से हे जो धर्म या खैरात के उद्देश्य भगवान के नाम पर दी जाती है। वक्फ को डीड या इस्ट्रूमेंट्स के जरिये गठित किया जा सकता है। इसके अलावा यदि कोई संपत्ति लंबे समय से धार्मिक या खैरात के उद्देश्य से प्रयोग में लाई जा रही है तो उसे वक्फ मान लिया जाता है।
वक्फ बनाने वाला व्यक्ति उस संपत्ति को वापिस नहीं ले सकता है और वक्फ एक निरंतर ईकाई बनी रहेगी। एक गैर मुस्लिम भी वक्फ बना सकता है लेकिन उस व्यक्ति की इस्लाम में आस्था होनी चाहिए और वक्फ बनाने का उद्देश्य भी इस्लामिक होना चाहिए। भारत में वक्फ को वक्फ एक्ट 1995 के जरिये शासित किया जाता है।
इस एक्ट के तहत सर्वे कमिश्नर स्थानीय स्तर पर जांच-पड़ताल, गवाहों को सुनने और सार्वजनिक दस्तावेजों की पुष्टि के बाद संपत्ति को वक्फ घोषित करता है। वक्फ का प्रबंधन मुतावली करता है जो एक्ट के तहत सुपरवाइजर का काम करता है। वक्फ बोर्ड एक ज्यूरिस्टिक पर्सन है जिसके पास संपत्ति को अधिग्रहण करने और अपने पास रखने और वक्फ की संपत्तियों के हस्तांतरण का अधिकारी है।
वक्फ बोर्ड अदालत में विधिक इकाई या ज्यूरिस्टिक पर्स के रूप में याचिका दाखिल कर सकता है उसके खिलाफ केस किया जा सकता है। हर राज्य में वक्फ बोर्ड और उसका चेयरमैन होता है। इसमें राज्य सरकार की तरफ से एक या दो नॉमिनी होते हैं। इसमें मुस्लिम विधायक या सांसद, स्टेट बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्य, इस्लाम के मान्यता प्राप्त विद्वान और मुतावली भी शामिल हैं। अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास ही विवादित जमीन की देखरेख का अधिकार है।