कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद पर कौन बैठेगा इस सवाल का जवाब आखिरकार सामने ही आ गया है, कांग्रेस आलाकमान ने तीन दिन तक चले मंथन के बाद सिद्धारमैया को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया है जबकि डी के शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाया गया है। हालांकि मुख्यमंत्री पद की दौड़ में दोनों ही नेताओं का नाम सुर्खियों में था।

क्या वजह रही कि डी के शिवकुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया और सिद्धारमैया के पास ऐसे कौनसे प्रभावशाली फैक्टर थे जिनके रहते उन्हें चुना गया है। समझिए…

डी के शिवकुमार पर लगे गंभीर आरोप, रिस्क लेने के मूड में नहीं है कांग्रेस

डीके शिवकुमार से अधिक संपत्ति से संबंधित आयकर और प्रवर्तन निदेशालय के मामलों का सामना कर रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा इन मामलों पर और तेज़ी लाने की बढ़ती संभावनाओं और 2024 के चुनावों से पहले इस तरह के मामलों होने वाले नुकसान का अंदाज़ा देखकर कांग्रेस किसी भी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं है। खासकर ऐसे वक्त में जब पार्टी ने भाजपा पर भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर कड़े प्रहार किए हैं।

हालांकि मुख्यमंत्री कौन बनेगा के मंथन के बीच ही सुप्रीम कोर्ट ने डी के शिवकुमार की कथित अवैध संपत्ति की जांच पर अंतरिम रोक को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर सुनवाई टाल दी है। इस तरह के गंभीर मामलों का सामना कर रहे डी के शिवकुमार को काफी नुकसान पहुंचाते रहे हैं।

सिद्धारमैया का मजबूत पक्ष

सिद्धारमैया कर्नाटक के सभी विधायकों में सबसे बड़े नेता हैं। उनकी अपील कर्नाटक के विभिन्न क्षेत्रों में है और उन्हें हमेशा कांग्रेस के अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त रहा है। उनका कद और उनका अनुभव बहुत ज़्यादा है और यही वजह है कि कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया है।

अगर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार की ओर से कड़ी चुनौती नहीं मिली होती तो जाहिर तौर पर वे ही मुख्यमंत्री बनाए जाते। पार्टी के अधिकतर विधायक उनके समर्थन में दिखाई दिए हैं।

कांग्रेस ने साधा सभी जातियों का साथ

डीके शिवकुमार ओबीसी वोक्कालिगा जाति से हैं अगर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाता तो कांग्रेस पार्टी में अन्य जाति समूहों की ओर से विरोध की आवाज़ें उठ सकती थीं। कांग्रेस यह जोखिम नहीं उठाना चाहती थी। हालांकि सिद्धारमैया का मुख्यमंत्री बनाया जाना वोक्कालिगा जाति समूहों में नाराजगी बढ़ा सकता है लेकिन डी के शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाकर कांग्रेस ने इस नाराजगी को पाटने का पूरा प्रयास किया है। इसके अलावा भी कई फैक्टर ऐसे हैं जिनके रहते कांग्रेस इस निर्णय तक पहुंची है।