Justice Shekhar Kumar Yadav Statement: विश्व हिंदू् परिषद के एक कार्यक्रम में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस की टिप्पणी से विवाद पैदा हो गया है। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह हिंदुस्तान है, यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार काम करेगा। अब इस मामले पर एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि एक अल्पसंख्यक पार्टी ऐसे जज से न्याय की उम्मीद कैसे कर सकती है।
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने जज की आलोचना करते हुए कहा कि भारत का संविधान न्यायपालिका से स्वतंत्रता और निष्पक्षता की उम्मीद करता है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘कई मौकों पर वीएचपी पर बैन लगाया गया। यह आरएसएस से जुड़ा हुआ है, एक ऐसा संगठन जिस पर वल्लभभाई पटेल ने ‘घृणा और हिंसा की ताकत’ होने के कारण बैन लगाया गया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक हाई कोर्ट के जज ने ऐसे संगठन के सम्मेलन में भाग लिया। इस भाषण का आसानी से खंडन किया जा सकता है, लेकिन जज को यह याद दिलाना बहुत जरूरी है कि भारत का संविधान न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता की अपेक्षा करता है।’
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भारत एक लोकतांत्रिक देश- असदुद्दीन ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘भारत का संविधान बहुसंख्यकवादी नहीं बल्कि लोकतांत्रिक है। लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जाती है। जैसा कि अंबेडकर ने कहा था जैसे राजा को शासन करने का कोई दैवीय अधिकार नहीं है, वैसे ही बहुमत को भी शासन करने का कोई दैवीय अधिकार नहीं है।’ उन्होंने कहा कि यह भाषण कॉलेजियम प्रणाली पर आरोप लगाता है और न्यायिक निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। एक अल्पसंख्यक पार्टी वीएचपी के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले व्यक्ति के सामने न्याय की उम्मीद कैसे कर सकती है।’
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जस्टिस शेखर कुमार यादव के किस बयान पर विवाद
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस शेखर कुमार यादव ने वीएचपी के कार्यक्रम में कहा, ‘मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह हिंदुस्तान है, यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार काम करेगा। यह कानून है। आप यह नहीं कह सकते कि आप हाई कोर्ट के जज होने के नाते ऐसा कह रहे हैं। दरअसल कानून बहुमत के हिसाब से काम करता है। इसे परिवार या समाज के संदर्भ में देखें। केवल वही स्वीकार किया जाएगा जिससे बहुसंख्यकों का कल्याण और खुशी हो।’
राजा राम मोहन राय ने कई कुप्रथाओं को खत्म किया- जस्टिस शेखर कुमार यादव
जस्टिस शेखर यादव ने यह भी कहा कि हमारे हिंदू धर्म में बाल विवाह, सती प्रथा और बालिकाओं की हत्या जैसी कई सामाजिक बुराइयां थीं, लेकिन राम मोहन राय जैसे सुधारकों ने इन प्रथाओं को खत्म करने का बहुत ही संघर्ष किया। हालांकि, उन्होंने कहा कि जब मुस्लिम समुदाय में हलाला, तीन तलाक और गोद लेने से संबंधित सामाजिक बुराइयों की बात आती है, तो उनके खिलाफ खड़े होने का उनमें कोई साहस नहीं है या यह कहा जा सकता है कि इन मुद्दों को हल करने के लिए मुस्लिम समुदाय की ओर से कोई पहल नहीं हुई।
वह इतने पर ही नहीं रूके बल्कि यह भी कहा कि मुसलमानों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे अग्नि के चारों ओर सात फेरे लेकर विवाह करें, या गंगा में डुबकी लगाएं या चंदन लगाएं। हालांकि, उन्होंने कहा कि उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे इस देश की संस्कृति, महापुरुषों और इस धरती के भगवान का अपमान न करें। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…