राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सीआरपीएफ के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर मोती राम जाट को एक पाकिस्तानी एजेंट को कथित तौर पर गोपनीय जानकारी लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया। जांच करने वाली टीम को भारत में जासूसी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एक बड़े वित्तीय नेटवर्क का भी पता चला। इंडियन एक्सप्रेस को यह पता चला है कि एजेंसी अब एक चार्जशीट तैयार कर रही है। इसमें विस्तार से बताया जाएगा कि कैसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने व्यापार और यात्रा की आड़ में धन की हेराफेरी की।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के दुकानदार दुबई के दलालों के जरिए पाकिस्तान में बने कपड़ों की खरीद के लिए यूपीआई से भुगतान कर रहे थे। विदेशी मुद्रा (डॉलर आदि) से जुड़े लेनदेन बैंकॉक में मौजूद भारतीय मूल की कंपनियों के जरिये किए जा रहे थे। दिल्ली और मुंबई के मोबाइल फोन दुकानदार अपने ग्राहकों को पैसे भेजने की सेवा दे रहे थे, लेकिन ये काम नियमों के खिलाफ और बिना पहचान दर्ज किए हो रहा था।

मोती राम जाट को 1.90 लाख रुपये मिले थे

मोती राम जाट पहलगाम में सीआरपीएफ बटालियन में तैनात था और 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले से ठीक पांच दिन पहले उसका दिल्ली ट्रांसफर हुआ था। जाट के बैंक खातों की जांच से कथित तौर पर पता चला है कि उसे अक्टूबर 2023 से अप्रैल 2025 के बीच सलीम अहमद नाम के एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंट से 1.90 लाख रुपये मिले थे। सूत्रों के अनुसार, यह पैसा उसके और उसकी पत्नी के खातों के जरिये वैध प्रणालियों की खामियों का फायदा उठाकर पहुंचाया गया। इसमें ट्रेड बेस्ड मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर इलीगल फोरेन एक्सचेंज ट्रेडिंग और डोमेस्टिक मनी ट्रांसफर नेटवर्क का नाम शामिल है।

अधिकारियों ने बताया कि ये चैनल अक्सर छोटे व्यवसायों और सर्विस प्रोवाइडर के जरिये संचालित होते हैं, जिन्हें इस बात का पता नहीं होता कि उनका इस्तेमाल वाहक के तौर पर किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि एक चैनल में कपड़े, गहने, बीज और जूते जैसी वस्तुओं का इंटरनेशनल ट्रेड शामिल था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “जाट के खाते में तीन संदिग्ध लेन-देन की जांच के बाद, एनआईए को पता चला कि कुछ लग्जरी फैशन ब्रांड्स के कपड़े, खासकर पाकिस्तान में बने सूट, दिल्ली और पटना के छोटे बुटीक मालिकों के जरिये भारत में सप्लाई किए जा रहे थे।”

अधिकारी ने बताया कि चूंकि भारत ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से सीधे इंपोर्ट पर 200% शुल्क लगा दिया था, इसलिए ये सामान यूएई के जरिये बाजार में एंट्री कर रहे थे, जहां दुबई में मौजूद कार्गो यूनिट दलालों के रूप में काम कर रही थीं, चालान बना रही थीं और भारत में दुकान मालिकों को भुगतान करने का निर्देश दे रही थीं।

अधिकारी ने बताया, “ये दलाल कभी-कभी दुकान मालिकों को यूपीआई के जरिये कुछ खास लोगों के फोन नंबरों पर 3,500 रुपये से लेकर 12,000 रुपये तक की छोटी-छोटी किश्तें देने का निर्देश देते थे। ये लोग जासूसी गतिविधियों के निशाने पर थे और ये लेन-देन गोपनीय सरकारी जानकारी देने के बदले में किए गए थे।”

एनआईए को कई चैनल का पता चला

जांच में पाया गया कि दुकानदारों को विश्वास था कि वे सामान के लिए वैध भुगतान कर रहे हैं। जाट के खातों में छह और पैसों लेनदेन की जांच से एक अन्य चैनल का पता चला। इसमें बैंकॉक में मौजूद भारतीय मूल की संस्थाओं के जरिये विदेशी मुद्रा संचालन शामिल था। यह पीआईओ के सहयोगी थे।

एनआईए के एक अधिकारी ने कहा, “यह पाया गया है कि भारतीय मूल के लोग बैंकॉक में रहने वाली कई भारतीय मूल की निजी संस्थाओं के संपर्क में हैं। ये संस्थाएं टूरिस्टों से बेतरतीब ढंग से संपर्क करती हैं और थाई बाट के बदले आकर्षक विदेशी मुद्रा दरों का लालच देती हैं। बैंकॉक में थाई बाट में नकद भुगतान मिलने के बाद वे अपने भारतीय बैंक खातों और भारत में रहने वाले अपने रिश्तेदारों के बैंक खातों का इस्तेमाल करके टूरिस्टों के भारतीय बैंक खाते में इंडियन करेंसी में बराबर राशि ट्रांसफर करते हैं, जिसे वे वापसी पर निकाल सकते हैं।”

ये भी पढ़ें: पत्रकार बनकर पाक अफसरों ने ली जानकारी, अमित शाह के मूवमेंट पर भी थी नजर

अधिकारियों ने कहा कि इस पद्धति से आधिकारिक विदेशी मुद्रा चैनलों को दरकिनार कर दिया गया और जासूसी से जुड़े लेन-देन को कवर दिया। एजेंसी की तरफ से उजागर किए गए तीसरे चैनल में दिल्ली और मुंबई के लोकल मोबाइल फोन रिटेलर शामिल थे। ऑनलाइन बैंकिंग प्लेटफार्मों के जरिए पैसा भेजने की सेवाएं देते थे। ये सेवाएं मुख्य रूप से प्रवासी मजदूरों और रोजाना कमाने वाले लोगों को उनके घर पैसे भेजने के लिए थीं।

एक अधिकारी ने बताया, “जांच में यह सामने आया कि पैसे भेजने वाले लोगों की पहचान ओटीपी और कंपनी के अकाउंट्स से किए गए भुगतानों के जरिए की जाती थी। हालांकि, ये मोबाइल फोन विक्रेता अपने निजी खातों से पैसे भेजने का काम भी करते थे और इसके बदले सेंडर से नकद राशि लेते थे।” उन्होंने यह भी कहा, “ऐसे मामलों में, सेंडर की पहचान रिकॉर्ड करने का कोई तरीका नहीं था।”

एनआईए ने की थी छापेमारी

अधिकारी ने कहा, “तीन लेन-देन के विश्लेषण से पता चला है कि संदिग्धों ने अपनी पहचान गुप्त रखते हुए जाट के खाते में पैसे ट्रांसफर करने के लिए पीआईओ के इशारे पर इस समानांतर चैनल का इस्तेमाल किया।” मई में एनआईए की टीमों ने आठ राज्यों में 15 जगहों पर तलाशी ली और जाट के खातों में पैसे ट्रांसफर करने वाले कई व्यक्तियों के बयान दर्ज किए।

ये भी पढ़ें: NIA ने दिल्ली से CRPF जवान को किया गिरफ्तार, 2023 से पाकिस्तान को दे रहा था ‘सीक्रेट’ जानकारी