How to count pilgrimage in Maha Kumbh Mela: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला 2025 में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। पौष पूर्णिमा के दिन करीब डेढ़ करोड़ और मकर संक्रांति पर साढ़े तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। इसके अलावा, रोजाना लगभग 50 लाख लोग स्नान कर रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के महाकुंभ में आने और स्नान करने पर सवाल उठता है कि आखिर इतनी भीड़ की गिनती कैसे की जाती है।
आसान नहीं है श्रद्धालुओं की संख्या की सटीक आकलन करना
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का सटीक आकलन करना आसान काम नहीं है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से वैज्ञानिक और सांख्यिकीय विधियों पर आधारित है। 100-200 साल पहले, जब मेला इतने बड़े पैमाने पर आयोजित नहीं होता था, गिनती के लिए बैरियर लगाकर श्रद्धालुओं को गिना जाता था। रेलवे टिकटों की बिक्री के आंकड़े भी मददगार होते थे। 1882 के कुंभ में अंग्रेज प्रशासन ने 10 लाख लोगों के आने का अनुमान लगाया था, जबकि 1918 के कुंभ में यह संख्या बढ़कर 30 लाख हो गई थी।
2013 से पहले मेले में आने वाले लोगों की संख्या का आकलन जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर किया जाता था। इसमें ट्रेनों, बसों और निजी वाहनों के यातायात के आंकड़े शामिल होते थे। साधु-संतों और अखाड़ों से भी भक्तों की जानकारी जुटाई जाती थी। हालांकि, समय के साथ भीड़ बढ़ने और यातायात प्रबंधन की जटिलता के कारण यह काम और चुनौतीपूर्ण हो गया।
2013 के महाकुंभ में पहली बार वैज्ञानिक तरीके से गिनती की गई। स्नान के लिए जरूरी स्थान और समय का आकलन करके आंकड़े जुटाए गए। एक व्यक्ति को स्नान के लिए 0.25 मीटर जगह और 15 मिनट का समय चाहिए। इस आधार पर एक घंटे में एक घाट पर 12,500 लोग स्नान कर सकते हैं। 2025 के महाकुंभ में 44 घाटों को स्नान के लिए तैयार किया गया है, जो इस प्रक्रिया को व्यवस्थित बनाता है।
इस बार मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की गिनती के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का इस्तेमाल किया है। मेले में 200 स्थानों पर अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। पूरे प्रयागराज में 268 जगहों पर 1107 कैमरे लगाए गए हैं, जबकि 100 से अधिक पार्किंग स्थलों पर 700 कैमरे वाहनों और श्रद्धालुओं की गणना में सहायता कर रहे हैं। इन कैमरों की मदद से भीड़ का सटीक आंकलन संभव हो पाया है।
श्रद्धालुओं की संख्या का अंदाजा नावों, ट्रेनों, बसों और निजी वाहनों से आने वाले लोगों की गिनती के साथ-साथ साधु-संतों और अखाड़ों में आने वाले भक्तों से भी लगाया जाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एक ही व्यक्ति की गिनती कई बार हो सकती है, क्योंकि कई लोग अलग-अलग घाटों पर स्नान करते हैं या मेले के विभिन्न हिस्सों में घूमते हैं।
महाकुंभ मेला 2025 एक बड़ा आयोजन है, जो न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है बल्कि यह दिखाता है कि आधुनिक तकनीक का उपयोग परंपराओं को व्यवस्थित करने में किस तरह मदद कर सकता है। यह मेला भारतीय संस्कृति की विशालता और सेवा भावना का अद्भुत उदाहरण है।