केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार (17 अक्टूबर 2019) को कहा कि मोदी सरकार में लिंचिंग नहीं बढ़ी है और न ही इसके लिए विशेष कानून की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लिंचिंग का मुद्दा प्रोपगेंडा के तहत उठाया जा रहा है। इसकी रोकथाम के लिए हमारे पास पहले से ही सेक्शन 302 के तहत कानूनी प्रावधान है। शाह का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब देश में मॉब लिंचिंग को लेकर माहौल खराब है और विशेष कानून बनाए जाने की मांग की जा रही है।

उन्होंने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा ‘अगर किसी व्यक्ति को मारा जाता है तो उसके लिए सेक्शन 302 है। ये देश के हर हिस्से में लागू है। बीजेपी सरकार ने ऐसे मामलों में जांच की है और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई भी की है। लेकिन इस पर राजनीतिक रंग चढ़ाया जा रहा है। मेरा मानना है कि पहले से ही कानून मौजूद है और जागरूकता फैलाने से समस्या को हल करने में मदद मिल सकती है।’

उन्होंने आगे कहा ‘कानून मौजूद हैं जरूरत है तो सिर्फ ऐसे मामलों में सही से जांच करने की। गृह मंत्रालय की तरफ से इस बारे में एडवाइजरी भी जारी की जा चुकी है। अगर किसी गांव में व्यक्ति को चोर समझकर मार पीटा जाता है और फिर उसकी मौत हो जाती है तो ऐसी घटनाएं पहली भी होती रही हैं। ऐसी घटनाओं पर राजनीतिक रंग चढ़ा दिया जाता है।

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मालूम हो कि बीते दिनों देश के 49 बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर असहिष्णुता और मॉब लिंचिंग की घटनाओं की निंदा की थी और सरकार से इस दिशा में कड़े कदम उठाने की मांग की थी। पत्र में कहा गया कि ‘राम के नाम पर देशभर में हिंसा हो रही है। ‘जय श्री राम’ का नारा युद्धघोष बन चुका है। 1 जनवरी 2009 से 29 अक्टूबर 2018 के दौरान देश में 254 धर्म पर आधारित हेट क्राइम को अंजाम दिया गया। यही नहीं 2016 में दलितों पर अत्याचार के 840 मामले सामने आए। सरकार अपराधियों के खिलाफ क्या एक्शन ले रही है।