पारंपरिक सोच के अनुसार भाजपा के पास तीन तलाक जैसे विवादित बिलों को पारित कराने के लिए राज्यसभा में बहुमत नहीं है। उम्मीद है कि पार्टी के पास अगले साल तक राज्यसभा में बहुमत हासिल हो सकता है। इसमें पार्टी के सहयोगी के साथ ही भाजपा के प्रति नरम रुख रखने वाले दलों की भी अहम भूमिका रहेगी।
इन सब के बीच पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस साल के अंत कर राज्यसभा में दलबदल के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। इस अभियान की शुरुआत तेलुगू देशम पार्टी के 6 में 4 सांसदों को भाजपा में शामिल करने से हो चुकी है।
अब उत्तर प्रदेश से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर ने भी समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश पर अपना फोकस कर रही है। यहां से यदि कोई ऊपरी सदन का सदस्य इस्तीफा देता है तो वह स्वतः ही भाजपा के टिकट पर पुनः निर्वाचित हो जाएगा।
इसका कारण है कि भाजपा के पास उत्तर प्रदेश में पर्याप्त संख्याबल है। भाजपा के संभावित निशाने पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी के दो-दो सांसद है। भाजपा पीडीपी के दो सांसदों नजीर अहम और मीर मोहम्मद फयाज पर भी डोरे डाल रही है।
महत्वपूर्ण बात है कि दोनों सांसदों ने कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाए जाने का विरोध नहीं किया। वास्तव में नाजीर अहमद का तो यह भी मानना है कि भाजपा अध्यक्ष शाह के दौरे से कश्मीर में एक नई रोशनी आई है। दोनों सांसदों को इस बात का इल्म हो चुका है कि मौजूदा परिस्थितियों में पीडीपी के साथ रहने से कोई फायदा होने वाला नहीं है।
मई 2019 से लेकर नवंबर 2020 तक राज्यसभा की 75 सीटों के लिए चुनाव होना है। माना जा रहा है कि अगले साल तक एनडीए को ऊपरी सदन में यूपी, बिहार, तमिलनाडु, गुजरात और मध्य प्रदेश से 19 सीटें बढ़ सकती है। पिछले साल राज्यसभा के इतिहास में भाजपा ने पहली बार कांग्रेस को सदस्यों की संख्या के मामले में पीछे छोड़ा था। ऊपरी सदन में एनडीए के सीटों की संख्या 101 हो गई थीं। पार्टी लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद से मिशन राज्यसभा में जुटी हुई है।