बांग्लादेश में हिंसा का दौर लगातार जारी है। उस्मान हादी की हत्या के बाद से हालात बेकाबू हो गए हैं। हर दिन कहीं न कहीं पथराव, आगजनी और हत्याओं की घटनाएं सामने आ रही हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं को भी निशाना बनाया जा रहा है। इस वजह से भारत में भी चिंता बढ़ी है और भारत सरकार ने बांग्लादेश को कड़ी चेतावनी दी है।
इसी बीच भारत में ऑल इंडिया इमाम संगठन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी के एक बयान पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मौलाना साजिद रशीदी का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जो हिंसा हो रही है, उसे नरसंहार नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हो रही हत्याएं पूरी तरह गलत हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। इस्लाम किसी भी व्यक्ति की हत्या की इजाजत नहीं देता। लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि जो लोग इसे नरसंहार बता रहे हैं, आखिर नरसंहार की परिभाषा क्या है। उन्होंने कहा कि गाजा में जो हुआ, क्या उसे नरसंहार कहने की हिम्मत कोई करता है? फिलिस्तीन में करीब 40 हजार बच्चों की बेरहमी से हत्या हुई और डेढ़ लाख लोगों की जान चली गई, फिर भी उसे नरसंहार कहने से परहेज क्यों किया जाता है?
मौलाना साजिद रशीदी ने आगे कहा कि इस समय बांग्लादेश में हिंसा हो रही है और इसके लिए मोहम्मद यूनुस की सरकार जिम्मेदार है। उनके मुताबिक यह एक कमजोर सरकार है। लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेश की हिंसा को सिर्फ इसलिए नरसंहार कहा जा रहा है क्योंकि वहां हिंदू मारे जा रहे हैं।
उन्होंने एनसीईआरटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह भी कहा कि भारत में भी ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने वाली भीड़ द्वारा 52 लोगों की जान गई, लेकिन किसी ने उसे नरसंहार नहीं कहा। मौलाना रशीदी ने सवाल उठाया कि 50 से ज्यादा लोगों की हत्या को नरसंहार मानने में लोग हिचक क्यों रहे हैं। उन्होंने इसे दोहरी मानसिकता करार दिया।
यह पहली बार नहीं है जब मौलाना साजिद रशीदी के किसी बयान पर विवाद हुआ हो। इससे पहले भी उनके कई बयानों को लेकर बवाल मच चुका है, जिन पर भाजपा ने उन्हें घेरा है।
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